हांगझोउ में रिकार्डतोड़ प्रदर्शन से पेरिस ओलंपिक में भारतीयों से पदकों की उम्मीद बढ़ी

Last Updated 09 Oct 2023 06:51:48 AM IST

हांगझोउ एशियाई खेलों में 107 पदकों के रिकॉर्ड के साथ भारतीय खिलाड़ियों ने देश के खेल इतिहास में एक शानदार अध्याय लिखने के साथ ही अगले साल पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीदें जगा दी हैं।


पीटी उषा, अध्यक्ष भारतीय ओलंपिक संघ

भारत ने एशियाई खेलों में लगभग 660 खिलाड़ियों के दल को भेजा था। भारत ने इन खेलों में रिकॉर्ड 28 स्वर्ण, 38 रजत और 41 कांस्य पदक जीते। कुल पदकों की संख्या 2018 में हुए जकार्ता खेलों की तुलना में 37 अधिक है। भारतीय खिलाड़ियों ने निशानेबाजी व तीरंदाजी में उम्मीदों से काफी बेहतर प्रदर्शन किया। इनमें से कई खिलाड़ी पहली बार बड़े मंच पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।  पदक तालिका में चौथा स्थान 1951 और 1962 में क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान के बाद भारत का सर्वकालिक तीसरा सर्वश्रेष्ठ है। भारत 2018 जकार्ता खेलों की तालिका में आठवें स्थान पर था।

इन खेलों के शुरू होने से पहले भारतीय ओलंपिक संघ  ने 100 पदकों का लक्ष्य रखा था। भारतीय खिलाड़ियों के खेलों के पहले दिन से पदक जीतना शुरू किया और यह उनके प्रतिस्पर्धा के आखिरी दिन तक जारी रहा। ओलंपियन नीरज चोपड़ा की मौजूदगी ने भारतीय दल के हौसले को बढ़ाया। इसमें कोई शक नहीं है कि भाला फेंक में इस खिलाड़ी के ओलंपिक स्वर्ण पदक ने दूसरे एथलीटों को भी प्रेरित किया।

भारतीय खेमे को हालांकि कुछ निराशा का भी सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी निराशा कुश्ती में बजरंग पूनिया को मिली शिकस्त से हुई। भारोत्तोलन में मीराबाई चानू चौथे स्थान पर रही जबकि बैडमिंटन में पीवी सिंधू को क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा।मुक्केबाजी में विश्व चैम्पियन लवलीना बोरगोहेन को स्वर्ण पदक का तगड़ा दावेदार माना जा रहा था लेकिन वह फाइनल में हार गयी। एथलेटिक्स और निशानेबाजी से देश को सबसे अधिक क्रमश: 29 और 22 पदक मिले। इन दोनों की संख्या भारत के कुल और स्वर्ण पदकों की संख्या का लगभग आधा है। निशानेबाजी में सर्वाधिक सात स्वर्ण पदक मिले जबकि एथलेटिक्स में छह स्वर्ण पदक मिले। तीरंदाजों ने इन खेलों में अप्रत्याशित प्रदर्शन किये। तीरंदाजों ने 2018 सत्र में सिर्फ दो रजत के बाद बड़ा सुधार करते हुए पांच स्वर्ण सहित नौ पदक दिए।

एशियाई खेलों के किसी भी संस्करण में तीरंदाजी में यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। भारत के कंपाउंड तीरंदाजों ने अविस्मरणीय प्रदर्शन करते हुए सभी पांच स्वर्ण पदक जीते। कंपाउंड तीरंदाज ज्योति सुरेखा वेन्नम और ओजस प्रवीण देवतले ने तीन-तीन स्वर्ण पदक जीते, जो किसी भी खेल में भारतीयों के बीच सबसे अधिक पीला तमगा है। अविनाश साबले (पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज), अन्नू रानी (महिलाओं की भाला फेंक) और पारुल चौधरी (महिलाओं की 5000 मीटर) ने खेलों में अपनी-अपनी स्पर्धाओं में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता, जबकि पुरुषों की चार गुणा 400 मीटर रिले टीम ने 61 साल में पहली बार शीर्ष स्थान हासिल किया।

निशानेबाजों ने भी सात स्वर्ण, नौ रजत और छह कांस्य के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। पलक गुलिया (10 मीटर एयर पिस्टल) और सिफत कौर समरा (50 मीटर राइफल थ्री-पोजिशन) ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते, जबकि अन्य पांच स्वर्ण टीम स्पर्धाओं में मिले। ऐर्य प्रताप सिंह तोमर चार पदकों के साथ खेलों में भारत के सबसे सफल निशानेबाज बन गए। चार पदक जीतने वाली एक अन्य निशानेबाज ईशा सिंह थीं, जिन्होंने मनु भाकर और रिदम सांगवान के साथ मिलकर 25 मीटर पिस्टल में स्वर्ण और पलक गुलिया और दिव्या टीएस के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल में रजत जीता। उन्होंने 25 मीटर और 10 मीटर एयर पिस्टल दोनों में व्यक्तिगत रजत पदक भी जीते। सर्वाधिक पदकों के मामले में, ऐर्या और ईशा भारतीयों की सूची में शीर्ष पर हैं।
भारत ने हॉकी और कबड्डी में स्वर्ण के साथ इन खेलों में अपना दबदबा फिर से कायम किया। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टूर्नामेंट में अपना दबदबा बनाया और स्वर्ण पदक के साथ 2024 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। भारतीय महिला हॉकी टीम को सेमीफाइनल में मेजबान चीन से 0-4 से हारकर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। रोहन बोपन्ना और रुतुजा भोसले ने टेनिस मिश्रित युगल का स्वर्ण भी जीता।

क्रिकेट में महिला और पुरुष टीमों ने भी स्वर्ण पदक जीते, जबकि स्क्वैश से भी देश को दो स्वर्ण मिले। चिराग शेट्टी और सात्विक साईराज रंकीरेड्डी की स्टार भारतीय पुरुष युगल जोड़ी ने देश के लिए पहला बैडमिंटन स्वर्ण जीतकर इतिहास रच दिया। घुड़सवारी में चौकड़ी ने पहली बार ड्रेसेज स्वर्ण जीता। भारत ने पाल नौकायन के डिंगी स्पर्धा में 29 साल में अपना पहला पदक जीता जबकि इस आयोजन में पदक स्पर्धा में पहली बार शामिल ई-स्पोर्ट्स से निराशा मिली। भारतीय पहलवानों ने भी अपने पदकों की संख्या छह तक बढ़ा दी, हालांकि इस बार उन्हें कोई स्वर्ण पदक नहीं मिला।

भाषा
हांगझोउ


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