Video: देखिये,मध्यप्रदेश के लालगढ़ किले का तिलिस्म
मध्यप्रदेश के धार जिले से करीब 40 किमी दूर अमझेरा इलाका इसी इलाके के जंगलों के बीचों बीच है लालगढ़ का किला.
लालगढ़ किले का तिलिस्म (फाइल फोटो) |
लोगों के मुताबिक शिवरात्रि, नवरात्रि और अमावस्या की रात यहां खूब रौशनी होती है. दूर-दूर से किले में तांत्रिक आते हैं. उन्हीं तांत्रिको ने धन पाने के लिए यहां साधना की है. कई जगह सिंदूर लगाया है और यहां और उल्लुओं के साथ कई जीवों की बलि भी दी है.
कुछ गांव वालों के मुताबिक तांत्रिको ने धन ले जाने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन वह मकसद में कामयाब नहीं हो पाये. कहा जाता है कि जैसे यहां पर खुदाई शुरू होती है किले में शेर आ जाते हैं.
जिस कुएं में दौलत छिपी बतायी जाती है उसे तिलिस्म बताया जाता है. बताते हैं कि इस कुएं की थाह आज तक कोई नहीं ले पाया है.
जैसे कोई इसके पास जाता है यहां अजीब सा बवंडर उठने लगता है. तेज हवा चलने का अहसास होता है, अजीब सी अवाजें आने लगती हैं. इलाके के कुछ लोग इस बात को नजरअंदाज कर इसके पास भी गये हैं, जिन्हें यहां पर ऐसा लगा है जिसे वो जिंदगी में शायद में शायद ही भूल पायें.
लालगढ़ के किले में जाने के नाम से भले ही आम लोगों को डर लगता हो लेकिन दौलत की तलाश में तांत्रिक यहां खूब आते हैं और कुएं में खजाना ढूंढने लगते हैं.
ये किला लाल सिंह महाराज ने बनवाया था. 1857 की क्रांति का भी ये किला साक्षी रहा. बताया जाता है कि यहीं लाल सिंह के पोते राणा बख्तावर तात्या टोपे के साथ क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देते थे.
राणा बख्तावर को महू में फांसी देने के बाद अंग्रेजों ने लेफ्टिनेंट हचिंसन की अगुवाई में हमला बोल दिया था. किले के दरवाजे को आग लगा दी.
यहां रहने वाले लोग जितना हो सका धन लेकर भाग गए. कुछ दौलत समेत इस कुएं में कूद गए. लोगों के मुताबिक इसी दौलत को हासिल करने के लिए तांत्रिक आते हैं. वो बताते है कि कुएं में डूबने वाले लोगों की ही आत्माएं हैं जिनकी अजीब आवाजें सुनी जाती हैं.
कुएं में खजाना है या नहीं पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता. यहां आने वाली आवाजों को भी कई जानकार वहम मानते हैं.
हालांकि उनका कहना है कि खुदाई के चक्कर में इतिहास की यह निशानी मिटने की कगार पर पहुंच चुकी है. जरूरत है इसका रखरखाव कराने की.
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