कमजोर कानून, फिक्सिंग कोर्ट में साबित करना आसान नहीं
दिल्ली पुलिस के लिए उपयुक्त कानून के अभाव में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के आरोपियों पर अदालत में आरोप साबित करना मुश्किल होगा.
अदालत |
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग का दिल्ली पुलिस ने भांडा तो फोड़ दिया है और तीन खिलाड़ियों समेत 14 आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है. जांच का सिलसिला जारी है. लेकिन कानून के जानकारों की मानें तो दिल्ली पुलिस के लिए उपयुक्त कानून के अभाव में इस मामले को अदालत में साबित करना मुश्किल होगा.
सख्त कानून के अभाव के ही चलते वर्ष 2000 में हुए पेप्सी कप मैच फिक्सिंग के मामले में आज तक दिल्ली पुलिस अदालत में आरोप पत्र दायर नहीं कर पाई है.
सख्त कानून के अभाव के चलते ही हैंसी क्रोनिए मामले में मुख्य आरोपी बुकी संजीव चावला को पुलिस लंदन से भारत नहीं ला पायी.
दक्षिणी अफ्रीका के कप्तान रहे हैंसी क्रोनिए (अब मृत) और भारतीय बुकी संजीव चावला के बीच पेप्सी कप मैच फिक्सिंग कांड मामले में प्रवर्तन निदेशालय के विशेष अभियोजक रहे सुभाष बंसल ने बताया कि इस मामले में पुलिस द्वारा लगायी गयी आईपीसी की धारा 420 और 120 बी (धोखाधड़ी और अपराधिक साजिश) को अदालत में साबित करने के लिए सबूतों की कड़ी पेश करनी होती है.
बंसल ने कहा कि अब हालिया आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के मामले में हांलाकि पुलिस कई इलेक्ट्रॉनिक सबूत, बुकी की बातचीत की रिकार्डिग आदि होने की बात कह रही है, लेकिन धारा 420 के अनुसार वैल्यूएबल सिक्योरिटी (यहां फिक्सिंग के लिए आरोपी द्वारा लिया हुआ धन) को साबित करना होगा.
इसके लिए पुलिस ने जब तीनों क्रिकेटरों और बुकियों को गिरफ्तार किया था, उसी वक्त फिक्सिंग के लिए लिये गए धन की बरामदगी भी करनी चाहिए थी.
यदि उक्त धन की बरामदगी नहीं हो पायी तो धारा 420 के तत्वों के अभाव में अदालत में मामला साबित करना कठिन काम है. सीनियर एडवोकेट सुभाष बंसल ने कहा कि धारा 420 के लिए यह जरूरी है कि फिक्सिंग में शामिल धन यानी नोट भी वही हों, जो कि बुकी ने आरोपी क्रिकेटर को फिक्सिंग के लिए दिए हैं.
उन्होंने 13 साल बीतने के बाद भी अभी तक हैंसी के मामले में पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमे में आरोप पत्र दायर न करने की बाबत बताया कि इस मामले में फिक्सिंग करते वक्त बातचीत के नमूने लिए गए थे लेकिन 12 साल बीतने के बाद भी सेंट्रल फारेंसिक साइंस लैबोरेट्री से नमूने की जांच रिपोर्ट आनी बाकी है.
इस मामले में मुख्य आरोपी संजीव चावला भनक लगते ही लंदन भाग गया था. उसका प्रत्यर्पण करने के लिए आईपीसी की धारा 420 नाकाफी है.
मार्च 2000 में हुए पेप्सी कप मामले में प्रवर्तन विभाग ने मुकदमा दायर किया था और इसके लिए हैंसी क्रोनिए के खिलाफ दक्षिणी अफ्रीका में एक कमीशन बैठाया गया था, जिसने हैंसी को क्लीन चिट दे दी थी बाद में किंग कमीशन बैठाया गया, लेकिन उसके बाद क्रोंजी की मौत हो गयी और भारतीय बुकी संजीव चावला, किशन कुमार और सुनील दारा के खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिल पाए.
हांलाकि इस मामले में किशन कुमार और सुनील दारा को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उनको जमानत मिल गयी.
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