इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में गांजे की खेती
इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय परिसर में एक चौकीदार गांजे की खेती कर रहा था.
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में गांजे की खेती (फाइल फोटो) |
एक तरफ तो सरकार का कानून है कि नाबालिग बच्चे न ही नशीला पदार्थ खरीद सकते हैं और न ही बेच सकते हैं. अगर किसी कॉलेज में गांजे जैसे नशीले पदार्थ की खेती ही होने लगे तो क्या होगा?
मध्य प्रदेश के इंदौर के एक कॉलेज में गांजे की खेती का मामला प्रकाश में आया है. इस कॉलेज का नाम है देवी अहिल्या विश्वविद्यालय.
सूत्रों ने बताया कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में काम करने वाला एक चौकीदार राम स्नेही कश्यप अपने सरकारी क्वार्टर के पास गांजे की खेती कर रहा था.
मामला प्रकाश में आने के बाद नारकोटिक्स पुलिस ने राम स्नेही को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने इस परिसर में छापा मारकर 209 गांजे के पौधे
इन पौधों की परवरिश काफी दिनों से की गई होगी, लेकिन ताज्जुब है कि इतने दिनों में किसी की नज़र उन पर नहीं पड़ी. |
ज़ब्त किए. इन पौधों का वज़न लगभग चार किला पाया गया. बाज़ार में इस गांजे की कीमत 50 हज़ार रुपए बताई जा रही है.
फिलहाल नारकोटिक्स टीम इस बारे में गिरफ्तार चपरासी से पूछताछ कर रही है. अभी इस बात का पता चलना बाकी है कि राम स्नेही गांजे की खेती कब से कर रहा था और इसे कहां-कहां सप्लाई करता था.
बहरहाल विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया है.
सवाल खड़ा होता है कि गांजे के पौधे मैदान में खुले में लगे थे और एक दिन में इतने बड़े नहीं हुए होंगे. ज़ाहिर है इन पौधों की परवरिश काफी दिनों से की गई होगी, लेकिन ताज्जुब है कि इतने दिनों में किसी की नज़र उन पर नहीं पड़ी. भले ही प्रबंधन खुद को इस मामले से अलग कर ले पर अपनी ज़िम्मेदारी से अलग नहीं हो सकता.
एक तरफ तो हम विज्ञापन देते हैं कि बच्चों को नशीले पदार्थों से दूर रखा जाए लेकिन यहां तो विश्वविद्यालय परिसर के अंदर ही गांजा उगाया गया था. ऐसे में गांजे के पौधों को बच्चों की नज़र से कैसे बचाया जाए.
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