एमपी के श्योपुर में नसबंदी शिविर में दो महिलाओं की मौत
नसबंदी शिविर में दो महिलाओं की मौत से फिर साबित हो गया कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में कितनी लापरवाही बरती जाती है.
सरकारी शिविर में नसबंदी ऑपरेशन के दौरान दो महिलाओं की मौत (फाइल फोटो) |
सरकारी चिकित्सा केंद्रों में लापरवाही के कई मामले ख़बरों में आते रहते हैं. शायद इसलिये कि इन केंद्रों में डॉक्टर और अन्य स्टाफ अपनी ज़िम्मेदारी महसूस नहीं करते.
मध्य प्रदेश के श्योपुर में आयोजित एक स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्रे में दो महिलाओं की मौत हो गई. यह शिविर नसबंदी के लिए लगाया गया था.
एक ख़बर के मुताबिक नसबंदी ऑपरेशन के दौरान दो महिलाओं की जान चली गई. यह शिविर वीरपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर लगाया गया है.
मृतक महिलाओं के परिजनों का कहना है कि ऑपरेशन से पहले उन्हें एक इंजेक्शन लगाया गया था जो जानलेवा साबित हुआ. उनका कहना है कि इंजेक्शन लगाने के बाद ही महिलाओं की हालत बिगड़ने लगी. परिजन दोनों को तुरंत ज़िला अस्पताल ले गए लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.
जब इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से पूछा गया तो वो कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए. बहरहाल अधिकारी मामले में जांच का आश्वासन दे रहे हैं.
दिसंबर में भी हुई थी ऐसी ही मौत
राज्य के विदिशा जिले में पिछले महीने 31 दिसंबर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र त्योंदा में नसबंदी ऑपरेशन शिविर लगाया गया था जहां दो महिलाओं की मौत हो गई थी.
इस मामले की जब जांच कराई गई तो इसमे डॉक्ट को दोषी पाया गया. पुलिस ने डॉक्टर समेत छह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है. सभी पर नसबंदी ऑपरेशन में लापरवाही करने का आरोप लगा है.
इस ऑपरेशन के लिए जब आरती बाई और गुलाब बाई व दो अन्य को लोकल बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया तो उनकी हालत बिगड़ गई. चारों को जिला अस्पताल विदिशा रेफर किया गया लेकिन आरती बाई और गुलाब बाई की रास्ते में मौत हो गई.
साफ है कि सरकारी शिविरों में आम आदमी के स्वास्थ्य के प्रति कोई भी अपनी ज़िम्मेदारी महसूस नहीं करता.
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