उत्तराखंड में अवैध मजारों को लेकर हो रही है राजनीति
उत्तराखंड में वन्य भूमि पर बने मजारों को लेकर हंगामा मचा हुआ है। मीडिया ने जब इन अवैध मजारों की खबर दिखाई तो सरकार के भी कान खड़े हो गए। चौंकाने वाली बात यह है कि ये मजार उस क्षेत्र में बने हैं। जहां आम इंसान आसानी से जा नहीं सकता।
उत्तराखंड में वन्य भूमि पर बने मजार |
जहां मजार बने हैं, 24 घंटे वन विभाग के अधिकारियों की आवाज आवाजाही लगी रहती है, उसके बाद भी इतनी भारी संख्या में मजार बन गए। ऐसे में यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सीधे तौर पर इसके जिम्मेवार हैं।
उधर उत्तराखंड की सरकार इसे मजार जिहाद का नाम दे रही है। साथ ही साथ यह भी कह रही है कि 2004 में कांग्रेस की सरकार के समय में ये सभी मजार बनाए गए थे।
उत्तराखंड सरकार को ही नहीं बल्कि पूरे देश को पता है कि सुप्रीम कोर्ट के अलावा देश की विभिन्न उच्च न्यायालयों ने अवैध धार्मिक स्थलों को तोड़ने या उन्हें हटाने का आदेश बहुत पहले से दे रखा है। उसके बाद भी अवैध धार्मिक स्थल बने हुए है। देश के हर कोने में प्रतिदिन ही कोई न कोई अवैध धार्मिक स्थल बनते ही रहते हैं।
प्रदेश की सरकारें या किसी भी जिले के अधिकारी हों, चाहे वो प्रशासन के हों या पुलिस के, कोई भी ऐसे स्थलों को हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।
उत्तराखंड की सरकार भी पता नहीं किसका इंतजार कर रही है। जब उसे पता है कि वहां बने सभी मजार सरकारी भूमि पर हैं तो उन्हें क्यों नहीं हटा पा रही है।
इसका सीधा सा मतलब यह है कि देश की सभी पार्टियां धार्मिक मामलों को लेकर राजनीति करती हैं।
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