ऋषिकेश में राफ्टिंग : हरित अधिकरण ने केंद्र से जवाब मांगा
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने उत्तराखंड में गंगा नदी के किनारे शिवपुरी से ऋषिकेश तक राफ्टिंग शिविरों के ‘अनियंत्रित’ परिचालन पर केंद्र से जवाब मांगा है.
हरित अधिकरण ने केंद्र से जवाब मांगा (फाइल फोटो) |
अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया.
पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका पर नोटिस जारी किया. याचिका में मांग की गयी है कि ऋषिकेश में राफ्टिंग शिविरों को बंद कर दिया जाए क्योंकि इससे नदी में प्रदूषण फैल रहा है. इस मामले में अगली सुनवाई आठ मई को होगी.
सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार ने पीठ को आासन दिया कि शिविरों के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं जारी किया जाएगा.
यह याचिका सोशल एक्शन फार फॉरेस्ट एंड एनवायरमेंट (एसएएफई) ने दाखिल की है. इसमें दावा किया गया है कि वन भूमि पर राफ्टिंग शिविरों के लिए अधिकारियों द्वारा ‘अंधाधुंध’ तरीके से लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं.
वकील राहुल चौधरी द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि इन शिविरों में उचित सीवर और सफाई सुविधाएं नहीं हैं.
याचिका में कहा गया है कि ये शिविर न सिर्फ वन संरक्षण कानून 1980 का बल्कि पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 और जल प्रदूषण नियंत्रण और निवारण कानून, 1974 का भी उल्लंघन है. इसमें दावा किया गया है कि इन शिविरों से गंगा नदी प्रदूषित हो रही है.
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