अफजाल अंसारी को लेकर मायावती का बयान ना आने का मतलब?
बसपा सुप्रीमो मायावती ने नगर निकाय चुनाव में मेयर प्रत्यासी के पद के लिए 11 मुस्लिमों को टिकट देकर यह बता दिया है कि वो हर हाल में मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में करने की कोशिश में लग गई है, ताकि लोकसभा 2024 के चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत सकें। पिछले कई महीनों से सधी हुई टिप्पणी करने वाली मायावती ने टिकट देते समय बहुत सोच विचार नहीं किया । लेकिन अपने सांसद अफजाल अंसारी की सजा को लेकर उनका ब्यान ना आने से मुस्लिम समुदाय दुविधा की स्थिति में है।
mayawati bsp |
हालाँकि उनके एक मुस्लिम सांसद दानिश अली ने अफजाल अंसारी की सजा पर अपना बयान दे दिया है। दानिश अली ने कहा है कि भाजपा मुस्लिम मुक्त विधायिका योजना लाने की तैयारी कर रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती अपने तीखे और सटीक बयानों के लिए जानी जाती हैं। मायावती किसी भी मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखती आई हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से उनके तीखे ब्यान सुनने को लोग तरस गए हैं। कुछ दिन पहले जब उन्होंने नगर निकाय चुनाव को लेकर मुस्लिमों को ज्यादा टिकट दिया तो चर्चा होने लगी कि मायावती एक बार फिर अपने पुराने वोटर मुस्लिम की तरफ कदम बढ़ा रही हैं। उन्होंने जब मेयर के 11 मुस्लिम प्रत्यासी बनाए, तो भाजपा को छोड़, विपक्ष की सभी पार्टियों को हैरानी हुई। मायावती के इस निर्णय से सपा कुछ ज्यादा ही परेशान हुई थी, क्योंकि सपा मुखिया अखिलेश यादव मुस्लिमों को अपना कोर वोटर मानते हैं।
नगर निकाय चुनाव की गहमागहमी के बीच जब बसपा सांसद अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई गई तो सबने उम्मीद की थी कि मायावती का कुछ बयान जरूर आएगा। मायावती जरूर कुछ बोलेंगी, लेकिन आज तीन दिन हो गए, अफजल की सजा को लेकर मायावती ने कोई भी ब्यान नहीं दिया। जबकि उन्ही की पार्टी के सांसद दानिश अली ने अफजाल की सजा के बाद भाजपा के लिए बड़ी बात कह दी है। उन्होंने कहा है कि भाजपा पहले विपक्ष मुक्त भारत की योजना बना रही थी, अब ऐसा लगता है कि वो मुस्लिम मुक्त विधायिका योजना पर काम कर रही है। खैर अपने सांसद अफजाल के बारे में मायावती का बयान ना आना कहीं न कहीं मुस्लिमों को परेशान कर रहा होगा। मुस्लिम समाज यह जरूर सोच रहा होगा कि जब मायावती ने मुस्लिम समुदाय को टिकट देकर उनका मान बढ़ाया है, तो फिर अपने ही सांसद की सजा पर कुछ क्यों नहीं बोल रही हैं?
मुस्लिमों को ज्यादा संख्या में टिकट देने के बाद सपा ने मायावती के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा था कि वो भाजपा की बी टीम है। सपा मुखिया अखिलेश की उन बातों को सुनकर भले ही उस समय कुछ लोगों को बुरा लगा होगा। कुछ नेताओं ने, खासकर बसपा के नेताओं ने अखिलेश के आरोप को हवा हवाई बताया होगा, लेकिन आज उनकी बातें सही साबित होती दिख रही होंगी। मायावती ने भले ही सही मायनों में मुस्लिमों के हक़ और उनके अधिकार को समझते हुए नगर निकाय चुनाव में उन्हें ज्यादा टिकट दिया हो, लेकिन अपने सांसद अफजाल अंसारी के खिलाफ कुछ ना बोलना मुस्लिमों को सोचने पर जरूर मजबूर कर रहा होगा।
शायद अब मुस्लिम समाज भी अखिलेश यादव के उस ब्यान, जिसमे उन्होंने मायावती को भाजपा की बी टीम बताया था, उससे इत्तेफाक रख रहा होगा। अफजाल अंसारी गलत थे, जिसकी उन्हें सजा मिली, लेकिन अफजाल अंसारी के परिवार के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय भी यह जरूर अपेक्षा कर रहा होगा कि इस मुसीबत में मायावती अफजाल को लेकर कुछ तो बोल देतीं। खैर मायावती पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप सही है कि गलत इसका पता नगर निकाय चुनाव परिणामों के बाद चल ही जाएगा, लेकिन मुस्लिम समुदाय मायावती को लेकर इस समय दुविधा में जरूर होगा। ऐसी स्थित में संभव है कि मुस्लिम समुदाय सपा समर्थित प्रत्याशियों के फेवर में वोट देने का मन बना ले।
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