नगर निकाय चुनाव में विपक्षियों ने भाजपा को दे दिया वॉकओवर!

Last Updated 29 Apr 2023 06:40:57 PM IST

नगर निकाय चुनावों में ऐसा लगता है कि विपक्षी पार्टियों ने भाजपा को वाकओवर दे दिया है। पिछले नगर निकाय चुनाव में जहाँ मेयर की दो सीटों पर बसपा ने जीत दर्ज कर विपक्ष की तरफ से उपस्थिति दर्ज कराई थी वहीं संभव है कि इस बार मेयर की एक भी सीट विपक्ष के खाते में न जाए। इसका सबसे बड़ा कारण है बसपा। बसपा ने कुल 17 मेयर वाली सीटों में से 11 उम्मीदवार मुस्लिम उतार दिए हैं, जबकि सपा भी मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने का दावा करती है।


उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव 2023

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के लिए इस बार नगर पालिका की 200 सीटें, नगर पंचायत की 546, जबकि मेयर की 17 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। इस बार जहाँ नगर पालिका की कुछ सीटें बढ़ी हैं, वहीं शाजहांपुर के रूप में एक मेयर की सेट बढ़ी है। पिछले चुनाव में मेयर की 16 सीटों में से भाजपा ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि बसपा ने मेरठ और अलीगढ की सीटों पर जीत दर्ज की थी। पिछले चुनाव में नगर पालिका और नगर पंचायत में भाजपा का प्रदर्शन सपा, बसपा और कांग्रेस से बेहतर रहा है लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार यहाँ सब पर भारी पड़ गए थे। इस बार सपा बढ़िया प्रदर्शन करने का दावा कर रही है, क्यों कि इस बार सपा रालोद  और चंद्रशेखर रावण की पार्टी आजाद समाज के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है।

 चंद्रशेखर की वजह से सपा को उम्मीद है कि इस बार उन्हें दलित वोटरों का समर्थन ज्यादा मिलेगा। रालोद नेता, जयंत चौधरी की वजह से अखिलेश को उम्मीद है कि वेस्ट्रन यु पी में जाटों की वोटें उन्हें ज्यादा मिलेंगी। लेकिन जाटों की वोटें उत्तर प्रदेश के कुछ ही जिलों में हैं। नगर पालिका और नगर पंचायत में संभव है कि रालोद की वजह से उनकी सीटें बढ़े, लेकिन मेयर के चुनाव में चौधरी जयंत की वजह से बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिलने वाला है।

सपा, मुस्लिम वोटो को अपने पक्ष में रखने का दावा करती है, लेकिन इस बार बसपा ने सपा के इस दावे की हवा निकाल दी है। बसपा ने कुल 17 मेयर वाली सीटों में से 11 सीटों पर मुस्लिम प्रत्यासी उतर दिए हैं। हालाँकि सपा समेत अन्य पार्टियां बसपा पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप लगा रही हैं। कुल मिलाकर अभी तक जो समीकरण बनते दिख रहे हैं, उसके मुताबिक़ मेयर की सीटों पर भाजपा को विपक्षी पार्टियों से बड़ी टक्कर देखने को नहीं मिल रही है। यानी सीधे-सीधे कहें तो,इस बार विपक्ष ने भाजपा को एक तरह से वाकओवर दे दिया है।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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