मौतों का सिलसिला थमा नहीं, भाजपा बनाने लगी चुनावी रणनीति: अखिलेश

Last Updated 25 May 2021 05:29:00 PM IST

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना और फंगस संक्रमण को पूरी तरह काबू करने में विफल रहने के बावजूद उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व प्रधानमंत्री के साथ चुनावों की रणनीति बनाने में सिर खपा रहा है।


समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव

श्री यादव ने मंगलवार को कहा कि भाजपा सरकार की प्रशासनिक अक्षमता और घोर लापरवाही के चलते न तो इलाज ठीक से हो पा रहा है और नहीं सम्मान के साथ अंतिम संस्कार। फिर भी पूरे दुस्साहस के साथ प्रधानमंत्री के साथ प्रदेश भाजपा नेतृत्व चुनावो की रणनीति बनाने में सिर खपा रहे हैं। लोकतां में लोकलाज का ऐसा भद्दा प्रदर्शन कहीं देखने को नहीं मिलेगा।
उन्होने कहा कि कोरोना संक्रमण और फंगस से मौतों का सिलसिला अभी भी थमा नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालात बद से बदतर हैं ही राजधानी सहित अन्य शहरों में भी आवश्यक जीवनरक्षक दवाओं और इंजेक्शन को अभाव में मरीज तड़प रहे हैं, उनकी सांसे थम रही है। मुख्यमंत्री बड़े बड़े दावे करते घूम रहे हैं, घर में लगी आग उन्हें दिखाई नहीं पड़ रही है।
इस आपदाकाल में गरीब, मजदूर और छोटे व्यापारी ठेली पटरी वाले सबसे ज्यादाास्त हैं। रोज कमाने वालों की हालत बिगड़ती जा रही है। जीवन के साथ जीविका का राग अलापने वाली भाजपा सरकार जीवन और जीविका दोनों के साथ खिलवाड़ कर रही है। मुख्यमंत्री आश्वासन भर दे रहे है। जमीनी हकीकत यह है कि फाइलो में ही राहत बंट रही है। इधर एक महीने में ही खाद्य वस्तुओं के दाम सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं। तेल, रिफाइंड, सब्जी के दाम 50 गुना बढ़ गए हैं। पेट्रोल डीजल के साथ रसोई गैस के दाम भी बढ़े हैं। घरेलू अर्थव्यवस्था को पूरी तरह भाजपा की गलत नीतियों ने बिगाड़ दिया है। छोटे दुकानदार लॉकडाउन के सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं जब तक ग्राहक आए दुकान बंदी का टाइम हो जाता है। फिर पुलिस के डंडो और गालियों से उनका सम्मान होता है। उनके लिए घर चलाना  मुश्किल हो गया है।

उन्होने कहा कि पशुपालकों के सामने चारे की समस्या खड़ी हो गई है। होटल, रेसां, चाय की दुकाने बंद होने से दूध की खपत कम हो गई है। रोजगार, कारोबार तबाह होने से लघु-मध्यम उद्योगों में लगे कर्मचारियों की छंटनी भी होने लगी है। दिहाड़ी मजदूर को कहीं काम नहीं मिल रहा है। किताब-कापी के व्यापारी स्कूल बंदी के शिकार हैं। बाराबंकी में पावरलूम ठप्प है। बरेली में फुटवियर कारोबारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
राजधानी लखनऊ में घर खर्च चलाने के लिए लोग गहने गिरवी रख रहे है। इलाज के महंगे खर्च ने भी लोगों की कमर तोड़ दी है। भाजपा को बस स्वार्थी राजनीति और झूठे प्रचार से मतलब है। जनता की जिंदगी से ज्यादा उसे सत्ता की चिंता है। इसको उत्तर प्रदेश की जनता कैसे भूलेगी। फिलहाल तो उसने भाजपा को माफ न करने का ही मन बना लिया है। 2022 में समाजवादी सरकार बनने पर राज्य की जनता को राहत मिलेगी।

वार्ता
लखनऊ


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