राममंदिर निर्माण स्थल के नीचे सरयू की धारा
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण स्थल के ठीक नीचे सरयू नदी की एक धारा मिली है।
राममंदिर निर्माण स्थल के नीचे सरयू की धारा |
एलएंडटी द्वारा खोदी गई नींव के ऊपर लगाए गए पिलरों पर पांच मंजिला मंदिर के बराबर का करीब 700 टन वजन डाला तो वह चार इंच नीचे धंस गए। जब भूकंप का झटका दिया गया तो उन पर क्रेक भी आ गए।
इस मुद्दे पर मंगलवार को श्रीराम मंदिर जन्मस्थान तीर्थ स्थल न्यास की बैठक हुई। इस बैठक में अनेक विशेषज्ञों ने सुझाव दिए। न्यास के महामंत्री चंपत राय ने बताया, विशेषज्ञों की राय के बाद नींव का काम नए सिरे से किया जाएगा। आज की बैठक में नेशनल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) के तकनीशियन और अक्षरधाम मंदिर निर्माण करने वाले लोग शामिल थे। एनबीआरआई के 14 तकनीशियन आठ दिनों तक जन्मभूमि निर्माण स्थल का अध्ययन करेंगे। जमीन के नीचे की तस्वीरें लेकर और अन्य तकनीकी पहलुओं का अध्ययन कर ट्रस्ट को बताएंगे। उसके बाद नींव रखने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
अब नींव की डिजाइन और तकनीक बदली जाएगी। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने राष्ट्रीय सहारा को बताया, नेशनल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, आईआईटी-मुंबई और आईआईटी-दिल्ली को इस काम में लगाया गया है। टाटा कंस्ट्रक्शन का भी सहयोग लिया जा रहा है। कुमार ने बताया, क्योंकि मंदिर की आयु 1000 वर्ष से ज्यादा होगी इसलिए मंदिर की नींव की डिजाइन भी उतना ही अच्छी और मजबूत होनी चाहिए, क्योंकि जन्मभूमि के नीचे दलदली भूमि निकल आई है तो तकनीकी विशेषज्ञ और वैज्ञानिक बताएंगे कि नींव के लिए क्या तकनीक अपनानी है, क्योंकि जन्मभूमि का स्थान तो बदला नहीं जा सकता है।
यह भी संभव है कि जिस तरह से नदियों को रोकने के लिए बांध बनाए जाते हैं, उसी तकनीक का उपयोग राममंदिर की नींव बनाने में किया जा सकता है। पूरे क्षेत्र को कृत्रिम चट्टान में तब्दील किया जाए और फिर उसके ऊपर नींव के पिलर लगाए जाएं। नींव के पिलर की गहराई 140 से 190 फुट तक होंगे। पिलर से लेकर भवन तक संपूर्ण निर्माण पत्थर का होगा, क्योंकि सीमेंट की उम्र कम होती है और पत्थर की आयु 1000 वर्ष तक हो सकती है।
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