रामलला जन्म स्थान की पहली झलक दिखाई
राममंदिर निर्माण के लिए बुधवार को भूमिपूजन और शिलान्यास के लिए इतिहास का दिन तो था ही लेकिन उससे बड़ा ऐतिहासिक दिन तब साबित हुआ जब वास्तविक विराजमान रामलला के जन्मस्थल क्षेत्र को सरकार ने कुछ पल के लिए मीडिया के लिए खोल दिया।
रामलला जन्म स्थान की पहली झलक दिखाई |
प्रिंट मीडिया से यहां केवल राष्ट्रीय सहारा ही पहुंच पाया और इस ऐतिहासिक पलों को अपने कैमरे में कैद कर लिया।
इस विस्मयकारी जन्मस्थल का टीला बचा हुआ है और टीले के ऊपर समतल कंक्रीट का क्षेत्र भी बचा हुआ है। ईस्ट इंडिया कंपनी के समय से और फिर ब्रिटिश साम्राज्य तक इस क्षेत्र में अंग्रेजों के अनेक इतिहासकारों और सर्वेयर ने यहां सर्वे किया और इसी स्थल को माना कि यही वास्तविक जन्मस्थल है।
अंग्रेज इतिहासकार एडर्वड ने इस स्थल को रामलला का जन्मस्थल माना और यहां पर एक प्रतीक चिह्न भी लगाया। वह प्रतीक चिह्न आज भी यहां पर कायम है। बचा हुआ वास्तविक टीला विराजमान रामलला से करीब 110 गज की दूरी पर है। यह अकेला उसी वास्तविक मंदिर का हिस्सा है जिसे मीर बाकी ने तोड़ा था और फिर 1992 में गुंबद को राम भक्तों ने गिरा दिया था।
जहां आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया। वहां पर पहले रामलला की मूर्ति विराजमान थी और मंदिर बनने के बाद फिर वहीं पर मूर्ति स्थापित की जाएगी। यह विवादित क्षेत्र 2.77 एकड़ में है जहां वास्तविक मंदिर था और 1528 में बाबर के सिपहसालार मीरबाकी ने उसे तोड़ दिया था।
1949 में कुछ राम भक्तों ने इसी स्थल पर रामलला की मूर्ति स्थापित कर दी थी और 1992 में 6 दिसम्बर को यहीं पर ही मस्जिद के गुंबद को तोड़कर फिर से मूर्ति स्थापित की गई। इस बच्चे हुए क्षेत्र में 11वीं शताब्दी के मंदिर के अवशेष के रूप में कसौटी का स्तंभ खड़ा है।
| Tweet |