शत्रुघ्न सिन्हा की सपा कार्यालय में उपस्थिति से बिदके कांग्रेसी

Last Updated 28 Jan 2020 03:26:28 PM IST

वर्ष 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़ कांग्रेस का दामन थामने वाले अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने एक बार फिर अपने पार्टी सहयोगियों को नाराज किया है।


अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा

अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा सोमवार को लखनऊ में थे और उन्होंने 'गांधी संदेश यात्रा' का नेतृत्व कर रहे पूर्व भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। संवाददाता सम्मेलन समाजवादी पार्टी मुख्यालय में आयोजित किया गया था, जहां समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव भी मौजूद थे।

अब लखनऊ के कांग्रेस नेताओं ने सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट किया, "शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक हैं, लेकिन वह सपा के लिए प्रचार करते हैं और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की खाकी पैंट पहनते हैं।"

कृष्णम, शत्रुघ्न सिन्हा से लोकसभा चुनाव के वक्त से नाराज हैं। लखनऊ लोकसभा सीट से जब कृष्णम कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे, तब उनके खिलाफ शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा सपा के टिकट पर यहीं से लड़ रही थीं और अभिनेता कांग्रेस में होने के बाद भी अपनी पत्नी के लिए प्रचार कर रहे थे।

आचार्य कृष्णम ने कहा कि संतोष सिंह और सत्यदेव त्रिपाठी जैसे वरिष्ठ नेताओं को बिना किसी कारण के निष्कासित किया जा सकता है, लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा जैसे लोगों के कार्यों को पार्टी द्वारा अनदेखा किया जा रहा है।

कांग्रेस नेता जीशान हैदर ने यह भी कहा कि जिन नेताओं की निष्ठा अन्य दलों के साथ है, उन्हें बाहर का दरवाजा दिखाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, "जब से वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं, वह एक बार भी पार्टी कार्यालय में नहीं आए हैं, लेकिन वह निरंतर समाजवादी पार्टी के कार्यालय में जाते रहते हैं।"

इसबीच, संपर्क करने पर शत्रुघ्न सिन्हा ने आईएएनएस से कहा, "यशवंत सिन्हा मेरे मित्र हैं और मैं उनकी गांधी संदेश यात्रा का हिस्सा हूं। जिस कार्यक्रम की आप बात कर रहे हैं, वह गैर-राजनीतिक समारोह था।"



उन्होंने आगे कहा, "मुझे लगता है कि कुछ निहित स्वार्थों से विवाद अनावश्यक रूप से उत्पन्न हो रहा है। कांग्रेस के प्रति मेरी निष्ठा में कोई संदेह नहीं है, लेकिन प्रत्येक के जीवन के व्यक्तिगत और राजनीतिक पहलुओं में अंतर होना चाहिए।"

आईएएनएस
लखनऊ


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