सीबीआई ने 'चाइल्ड पोर्नोग्राफी' के अंतरराष्ट्रीय रैकेट का किया भंडाफोड, 20 साल का युवक गिरफ्तार
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आज दावा किया कि उसने व्हाट्सएप ग्रुप पर बच्चों से संबंधित अश्लील वीडियो प्रसारित करने वाले अंतरराष्ट्रीय रैकेट का भंडाफोड किया है
फाइल फोटो |
अधिकारियों ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून के उल्लंघन का मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई ने दिल्ली, मुंबई, नोएडा और कन्नौज में पांच ठिकानों पर छापेमारी की.
इस संबंध में निखिल वर्मा नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया गया है जो एक आभूषण विक्रेता के यहां काम करने वाले एक कर्मचारी का बेटा है. वह वाणिज्य संकाय में स्नातक कर रहा है और वर्तमान में बेरोजगार है.
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने पाया कि इस व्हाट्सएप ग्रुप में 119 सदस्य हैं जो इस तरह की तस्वीरें और वीडियो प्राप्त कर रहे थे.
उन्होंने बताया कि ग्रुप के सदस्यों में अमेरिका, चीन, न्यूजीलैंड, मेक्सिको, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ब्राजील, केन्या, नाइजीरिया और श्रीलंका तथा अन्य देशों तक के लोग शामिल
हैं.
अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी के दौरान सीबीआई ने मोबाइल फोन, लैपटॉप, हार्ड डिस्क तथा कई अन्य डिजिटल उपकरण बरामद किए.
वर्मा को चार अन्य सहयोगियों- दिल्ली के नफीस रजा और जाहिद तथा मुंबई के ओमप्रकाश चौहान तथा नोएडा के आदर्श के साथ नामजद किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि अपनी खुद की खुफिया सूचना पर काम करने वाली एजेंसी को संबंधित साक्ष्य जुटाने के फील्ड वर्क के आधार पर आरोपियों तक पहुंचने के लिए कोई व्हाट्सएप सर्विलांस इस्तेमाल किए बिना लगभग तीन महीने तक कडी मेहनत करनी पडी.
उन्होंने कहा कि यह एक उत्कृष्ट प्रकार की पुलिसिया जांच थी जिसमें जांच सदस्यों को उन इलाकों तक जाना पडा जहां बच्चों से संबंधित अश्लील तस्वीरें और वीडियो अपलोड करने तथा इन्हें आगे प्रसारित करने के लिए कंप्यूटरों के आईपी एड्रेस और मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जा रहा था.
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने कार्रवाई के लिए आगे बढने से पहले स्थानीय जानकारी के आधार पर संदिग्धों की पृष्ठभूमि की गहन जांच की और उनका गहन व्यावहारिक विश्लेषण किया.
उन्होंने कहा कि बच्चों से संबंधित अश्लील तस्वीरें और वीडियो बनाना, उन तक पहुंच रखना, रिकॉर्डिंग करना, अपलोड या वितरण करना सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत गंभीर अपराध है और इसमें सात साल तक की कैद तथा 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी भारत और विदेश में ग्रुप के अन्य सदस्यों का पता लगाने के लिए अपनी जांच को आगे बढा रही है.
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