कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही को चुनौती देने वाली पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा की याचिका शुक्रवार को आंशिक रूप से स्वीकार कर ली जबकि उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को वापस निचली अदालत के पास भेज दिया।
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अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता की अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार कर ली।
येदियुरप्पा (81) ने भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत अपने खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था।
मामला पिछले साल 14 मार्च को 17 वर्षीय लड़की की मां की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था, जिसने आरोप लगाया था कि येदियुरप्पा ने दो फरवरी को यहां डॉलर्स कॉलोनी में स्थित अपने आवास पर मुलाकात के दौरान उसकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया था।
येदियुरप्पा के खिलाफ एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही सीआईडी ने पिछले साल 27 जून को त्वरित सुनवाई अदालत के समक्ष दायर आरोपपत्र में आरोप लगाया था कि उन्होंने और तीन अन्य आरोपियों ने कथित पीड़िता और उसकी मां को चुप रहने के लिए पैसे दिए थे।
अन्य तीन सह-आरोपी हैं अरुण वाई एम, रुद्रेश एम और जी मारिस्वामी। इन्हें येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है।
येदियुरप्पा के खिलाफ आरोप लगाने वाली पीड़िता की 54 वर्षीय मां की पिछले साल मई में फेफड़ों के कैंसर के कारण यहां एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी।
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