76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी व नारी शक्ति का होगा प्रदर्शन

Last Updated 23 Jan 2025 07:32:52 AM IST

76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर भारतीय सैन्य शक्ति, आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी तकनीक को प्रदर्शित किया जाएगा। परेड में भारतीय सेना की चार महिला कंटिनजेंट कमांडर देश के सैन्य सामथ्र्य में नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करेंगी।


इस बार कर्तव्य पथ पर नौसेना को झांकी में शामिल करने का मौका मिला। तीनों सेनाओं की एक संयुक्त झांकी होगी। गणतंत्र दिवस परेड में देश की प्रगति झांकी देखने को मिलेगी। तकनीकी से लेकर निर्माण में आत्मनिर्भर हो चुकी थल सेना और नौसेना से लेकर देश में हेलीकॉप्टर एवं एलसीए बना चुकी वायु सेना की आत्मनिर्भरता से पूरा देश रूबरू होगा। भारतीय सेना की तरफ से पंद्रह मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री टुकड़ियां कर्तव्य पथ पर परेड करेंगी।

इन टुकड़ियों का नेतृत्व करने वाले युवा अधिकारियों में चार महिला कमांडर शामिल हैं। सेना की तरफ से भीष्म (टैंक टी-90), एनएजी एमएसएल सिस्टम (एनएएमआईएस), बीएमपी - सारथ, एटीवी-चेतक, एलएसवी-बजरंग, क्यूआरएफवी (हाईवे)-नंदीघोष,  क्यूआरएफवी-त्रिपुरान्तक, वीएमआईएमएस-ऐरावत, एसएमवी-कपिध्वज, ब्रrाोस, पिनाका, आकाश एलआर-आकाश आर्मी लॉन्चर, गाड्र-अग्निबाण, 10 मीटर शॉर्ट स्पैन ब्रिज,  माउंट/मैदान के लिए बीएसएस वाहन-संजय को शामिल किया जा रहा है। ये सभी भारत में भारतीय प्रौद्योगिकी से निर्मित हैं।

महिलाएं करेंगी प्रतिनिधित्व

एयर डिफेंस सिस्टम आकाश आर्मी लॉन्चर की कंटिनजेंट कमांडर महिला अधिकारी कैप्टन शर्मिष्ठा हैं। उन्होंने बताया कि आकाश आर्मी लांचर की रेंज 25 किलोमीटर है, जबकि सर्वलांस की रेंज 150 मिलोमीटर है। उन्होंने कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें कर्तव्य पथ पर एयर डिफेंस का प्रतिनिधित्व करने का मौका है। वह अपने परिवार में पहली पीढ़ी की सेना अधिकारी हैं। कैप्टन शर्मिष्ठा पहले मौके में ही ऑल इंडिया दूसरी रैंक लाकर सेना में अधिकारी बनी हैं।

क्विक रिस्पॉन्स फोर्स व्हीकल-नंदीघोष की कमांडर मेजर राधिका सेन ऐसे वाहन का नेतृत्व कर रही हैं, जो जमीन में छुपाए गए लैंड माइंस या साइड से चलाए गए माइंस के अटैक को बचाता है और सैनिकों को सुरक्षित रखता है। यह वाहन धरती की तरफ से 10 किलो टीएनटी और साइड से 50 किलो टीएनटी का ब्लास्ट झेल सकता है। मेजर सेन रणक्षेत्र की टोली में शामिल होकर खुश हैं। क्यूआरएफवी-त्रिपुरान्तक की कमांडर मेजर श्रृंष्टि शर्मा ने बताया कि यह वाहन आजकल संयुक्त राष्ट्र के मिशन पर कांगो, लेबनान, सूडान में तैनात है। मेजर श्रृंष्टि भी अग्रिम युद्ध क्षेत्र के लिए चुनी जाने पर खुश हैं और कर्तव्य पथ पर देश का प्रतिनिधित्व करने को लेकर उत्साहित हैं।

स्वदेशी तकनीक से तैयार

मल्टी बैरल राकेट लांचर के कमांडर कैप्टन मनोज चोनियाल ने बताया कि यह अग्निवाण की तरह ही तेज और विध्वंसक कार्यवाही के लिए जाना जाता है। यह पूरी तरह स्वदेशी है। लाइट स्पेशल व्हीकल ऐरावत के कमांडर लेफ्टिनेंट अभिजीत अहलावत ने बताया कि यह मोर्टार सिस्टम के साथ काम करता है। यह बुलेट प्रूफ है। यह पहाड़, मैदान, रेगिस्तान में काम दुश्मन के दांत खट्टे कर सकता है। यह दुश्मन को लांग रेंज में इंगेज करने में सफल होता है। दुश्मन पर इंडायरेक्ट फायर डालता है। लेफ्टिनेंट हिमांशु सिंह चौहान ने बताया कि आकाश आर्मी लांचर एंटी ड्रोन, एंटी सेटेलाइट है। इसे रेगिस्तान, मैदान या पहाड़ी इलाकों को तैनात किया जा सकता है।

चेतक-ऑल टैरेन व्हीकल लद्दाख में एलएसी पर चीनी घुसपैठ के बाद भारत को भी एक ऐसे वाहन की तलाश थी, जो खतरनाक पहाड़ी रास्तों पर चल सके। भारतीय कंपनी महिंद्रा ने इसे बनाया है। चेतक के कमांडर कैप्टन लक्षेश सिहाग ने बताया कि यह रेगिस्तान, मैदान या खड़ी चढ़ाई हो या तीव्र ढलान, हर जगह पहुंच सकता है।

कैप्टन सिहाग तीसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी हैं। उनके दादा जी ऑनरेरी कैप्टन रामचंद्र सिहाग ने 1956 में ओलिम्पिक खेला और उन्हें अजरुन पुरस्कार भी मिला। उनके पिता भी सेना से सेवानिवृत्त हुए हैं। भीष्म टैंक टी-90 के कमांडर कैप्टन नवजोत सिंह अटवाल ने बताया कि स्वदेशी टैंक पर एडवांस प्रोटक्शन सिस्टम लगाया है। यह रात और दिन में चल सकता है। इसमें टीडब्लूएनटी नया लगाया गया है, जो माइंस को हटाने में मदद करता है।

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


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