विज्ञापन से ध्यान हटा ऑक्सीजन प्लांट लगाती दिल्ली सरकार तो ये हाल न होते : माकन
कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने केंद्र और दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह दोनों ही कोरोना महामारी संकट के दौरान सरकार होने का दायित्व निभाने में पूरी तरह से फेल रहे हैं।
![]() कांग्रेस महासचिव अजय माकन |
अगर केंद्र और राज्य सरकार ने समय पर सही कदम उठाए होते तो दिल्ली की आज यह हालत न होती। मरीजों को ऑक्सीजन की कमी की वजह से अस्पतालों में दम नहीं तोड़ना पड़ता।
अजय माकन ने कहा कि दिल्ली में 8 पीएसए लगाने थे, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने माननीय उच्च न्यायालय को बताया है कि इनमें से केवल एक ही यहां पर लगाया गया है। केंद्र सरकार कि यह स्वीकृति ऐसे समय में आई है जब ऑक्सीजन की कमी से दिल्ली में कोरोना मरीजों की जान लगातार जा रही है। पीएसए यूनिट एक छोटा ऑक्सीजन उत्पादन यूनिट होती है जिसे अस्पताल परिसर या उसके नजदीक लगाकर अस्पताल के साथ संबद्ध किया जाता है।
यहां यह बताना भी जरूरी है कि दिल्ली सरकार ने स्वीकृत पीएसए में से एक भी ऑक्सीजन प्लांट को लगाना उचित नहीं समझा।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों ही दिल्ली में एक भी ऑक्सीजन स्टोरेज प्लांट लगाने के मुद्दे पर भी पूरी तरह से फेल रही हैं। यहां के लिए न तो ऐसा कोई ऑक्सीजन स्टोरेज प्लांट स्वीकृत किया गया और न ही उसका निर्माण किया गया। अजय माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार का समस्त ध्यान अपनी स्वयं की पब्लिसिटी पर ही केंद्रित रहा है। पिछले वर्ष दिल्ली सरकार ने अपने गुणगान और प्रचार पर 355 करोड़ रु पए का विज्ञापन खर्च किया। इस वर्ष यह राशि बढ़ाकर 467 करोड़ रु पए कर दी गई है।
अगर दिल्ली सरकार की पब्लिसिटी पर इस खर्च राशि को जोड़ा जाए तो यह 822 करोड़ रु पए की बड़ी राशि होती है। उन्होंने कहा कि अगर इस राशि का उपयोग राजधानी में ऑक्सीजन सप्लाई को बढ़ाने के लिए किया जाता तो इससे दिल्ली में 750 एमटी अतिरिक्त ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकता था। अजय माकन ने कहा कि अगर हम दिल्ली के पड़ोसी राज्य राजस्थान की बात करें तो वहां पर 37 ऑक्सीजन प्लांट को मंजूरी दी गई थी। इनमें से 24 ने कार्य करना शुरू कर दिया है जबकि अन्य 13 अपने पूर्ण होने की प्रक्रिया के अंतिम स्तर पर है. राजस्थान सरकार ने 7 हाई कैपेसिटी ऑक्सीजन स्टोरेज प्लांट भी पिछले 1 वर्ष में लगाए हैं।
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