वेतन एक मौलिक अधिकार है : दिल्ली हाई कोर्ट

Last Updated 20 Jan 2021 02:49:37 PM IST

कर्मचारियों को वेतन और पेंशन का भुगतान न करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को नगर निगमों की जमकर खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि धन की कमी एक बहाना नहीं हो सकता और वेतन पाने का अधिकार भारत के संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है।


दिल्ली हाई कोर्ट

जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की खंडपीठ, दिल्ली नगर निगमों, विशेष रूप से उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के कर्मचारियों को वेतन और पेंशन का भुगतान नहीं करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट ने कहा, समय पर वेतन का भुगतान न किए जाने का कारण धन की कमी बताया गया है। ये एक बहाना नहीं हो सकता क्योंकि वेतन और पेंशन लोगों का मौलिक अधिकार है। अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत वेतन का भुगतान नहीं करने का सीधा असर लोगों के जीवन की गुणवत्ता पर पड़ेगा।

अदालत ने आगे कहा कि यह बहुत जरूरी है कि निगमों के कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वेतन और पेंशन का भुगतान किया जाय, जिसमें डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी शामिल हैं, और जो महामारी के समय में भी अपनी सेवाएं दे रहे थे।

बेंच ने आगे कहा कि पैसे की कमी बहाना नहीं हो सकती और न ही इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। वेतन और पेंशन के भुगतान को अन्य खचरें से ज्यादा प्राथमिकता देनी होगी।

अगली सुनवाई 21 जनवरी तक स्थगित करते हुए कोर्ट ने कहा, इसलिए, हम नगर निगमों को निर्देश देते हैं कि वो विभिन्न मदों में किए जाने वाले खर्च का ब्योरा दे। कर्मचारियों के लिए भत्ते की राशि विशिष्ट मद में स्पष्ट रूप से प्रकट किया जाना चाहिए।

नगर निगमों के कर्मचारी अपनी तनख्वाह न मिलने को लेकर 7 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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