सरकारी जमीन पर पूजा स्थल का निर्माण रोकें
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि डीडीए जैसे प्राधिकरण यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं कि अवैध अतिक्रमण के जरिए सार्वजनिक भूमि पर पूजा स्थल न बनाए जाएं।
दिल्ली हाईकोर्ट |
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने पूजा स्थल की आड़ में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण करने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में मामलों में यह देखा गया है कि मंदिर या अन्य पूजा स्थलों की आड़ में सरकारी जमीन पर अधिकार का दावा किया जाता है।
अदालत ने कहा कि ऐसे प्रयासों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि प्राधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि इस तरह से सार्वजनिक भूमि पर पूजा स्थल न बनाए जाएं।
उच्च न्यायालय ने न्यू पटेल नगर में स्थित चार मंदिरों को तोड़ने से दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को स्थायी रूप से रोकने का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि यह जमीन सार्वजनिक भूमि है और वादी किसी प्रकार की राहत का हकदार नहीं है।
कोर्ट ने वादी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। यह मुकदमा दिवंगत स्वामी ओंकार नंद का चेला होने का दावा करने वाले शख्स ने दायर किया था। स्वामी ओंकार नंद न्यू पटेल नगर में चार मंदिरों का संचालन करते थे।
वादी ने दलील दी कि उस जमीन पर 1960 के दशक से मंदिर हैं और स्वामी ओंकार नंद का 1982 में निधन होने के बाद से पूजा स्थल उनके कब्जे में हैं। डीडीए ने दावा किया कि पूरी भूमि सरकारी है और उसपर वादी का अवैध कब्जा है।
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