मध्य प्रदेश में भाजपा का लगातार जन आधार बढ़ रहा है। यही कारण है कि जमीनी कार्यकर्ता भी सत्ता में हिस्सेदारी चाहते हैं। कार्यकर्ताओं में असंतोष न पनपे इसके लिए पार्टी ने संतुष्टि का रोड मैप बनाना तेज कर दिया है।
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राज्य का संगठन और सरकार देश के अलग-अलग हिस्सों के लिए रोल मॉडल रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीते दो दशक में डेढ़ साल के कालखंड को छोड़ दिया जाए तो भाजपा की ताकत बढ़ी है।
विधानसभा से लेकर लोकसभा के चुनाव में भी पार्टी को बड़ी सफलता मिली है। इस सफलता के पीछे कार्यकर्ताओं की एकजुटता और समर्पण के भाव को माना जाता रहा है। अब पार्टी को भी लगता है कि इन कार्यकर्ताओं की भी सत्ता और प्रशासनिक स्तर पर भागीदारी बढ़े।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, राज्य में निगम, मंडल के अलावा जिले स्तर और गांव तथा ग्राम पंचायत स्तर पर भी समितियां होती हैं। ग्रामीण स्तर का कार्यकर्ता प्रशासनिक स्तर पर अपने दखल और ग्रामीणों की जरूरत को पूरा करने के लिए इन समितियां में जगह चाहते हैं।
पुराने अनुभव संगठन के अच्छे नहीं है। राज्य स्तर के निगम, मंडल और आयोग में बड़ी तादाद में पद खाली रहे। इतना ही नहीं गांव और पंचायत स्तर पर भी नियुक्तियां नहीं हुई।
पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी ने वफादार और लंबे अरसे से सक्रिय कार्यकर्ताओं को समायोजित करने की योजना पर अमल शुरू कर दिया है। आगामी छह माह में इस दिशा में बड़े फैसला संभव है।
इतना ही नहीं कृषि शाख सहकारी समितियां के जल्दी चुनाव होने वाले हैं। यह चुनाव गैर दलीय आधार पर होते हैं, मगर कार्यकर्ता इनमें पद चाहते हैं। पिछले दिनों भाजपा नेताओं की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी के अलावा अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारी के साथ बैठक भी हुई थी।
इस बैठक में भी नियुक्तियों पर चर्चा की गई। दिल्ली में भी मुख्यमंत्री का सम्मेलन हो रहा है और राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इसमें हिस्सा ले रहे हैं। इस बैठक के बाद नियुक्तियों का दौर तेज होने की संभावना है।
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