झारखंड सरकार की हाल में घोषित नियोजन नीति (रिक्रूटमेंट पॉलिसी) के खिलाफ संथाल परगना प्रमंडल के विभिन्न जिलों में छात्र-युवा शनिवार सुबह से सड़कों पर हैं।
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उन्होंने झारखंड की उपराजधानी दुमका सहित कई शहरों में आज बंद बुलाया है। गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ सहित संथाल परगना के सभी छह जिलों में इसका खासा असर देखा जा रहा है।
बंद का आह्वान आदिवासी-मूलवासियों एवं विभिन्न छात्र और सामाजिक संगठनों ने मिलकर किया है। शनिवार सुबह से छात्रों के कई समूह ढोलक-मांदर और पारंपरिक हथियारों के साथ सड़क पर उतर आए। उन्होंने मुख्य चौक-चौराहों को जाम कर आवागमन ठप कर दिया। वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। दुमका में तमाम दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रहे। बस स्टैंड में सन्नाटा पसरा रहा है। यहां से एक भी गाड़ी नहीं खुली। छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए जगह-जगह मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की तैनाती की गई है।
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि सरकार ने जो नई नियोजन नीति लाई है उसमें प्रदेश की नौकरियों में नियुक्ति के लिए 60-40 का अनुपात लागू किया गया है। यानी 40 प्रतिशत पदों पर झारखंड के बाहर के राज्यों के अभ्यर्थियों का कब्जा हो जाएगा। छात्र तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां इस प्रदेश के मूल निवासी युवाओं के लिए आरक्षित करने की मांग कर रहे हैं।
दुमका में बंदी के समर्थन में उतरे छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि राज्य की हेमंत सरकार ने जो पॉलिसी लाई है, वह आदिवासी मूलवासी छात्रों को स्वीकार नहीं है। बिहार, बंगाल, ओड़िशा और छत्तीसगढ़ में वहां स्थानीय युवकों को नौकरियों में प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि झारखंड में स्थानीय छात्रों और बेरोजगार युवकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। छात्र नेता ठाकुर हांसदा ने कहा कि अगर सरकार ने यह नियोजन नीति वापस नहीं ली तो आनेवाले समय में आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी।
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