भाजपा को मोदी लहर पर नाज, रानी को अपने ‘दरबारियों’ पर

Last Updated 01 May 2014 06:18:52 AM IST

भाजपा के पीएम प्रत्याशी मोदी की हवा बता कर कहा जा रहा है कि भाजपा विरोधी पार्टियों के नेता अपनी जमानतें बचाने के लिये चुनाव लड़ रहे हैं.


रामस्वरूप शर्मा, भाजपा एवं प्रतिभा सिंह, कांग्रेस (फाइल फोटो)

परंतु हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट पर कांग्रेसी इस बार वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह की जीत के मार्जन को बढ़ाने के लिये जी-जान एक किये हुये हैं. इस क्षेत्र में चुनाव सात अप्रैल को होगा. प्रतिभा सिंह ने अभी छह माह पहले ही उपचुनाव में यहां से लोकसभा चुनाव जीता था.

हिमाचल की इस हाई प्रोफाइल सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के मध्य ही होने की संभावना है. हालांकि चुनावी रण में माकपा सहित आप, बीएसपी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय भी है. भाजपा ने राम स्वरूप शर्मा को टिकट दिया है जबकि सीपीआई (एम) ने कुशाल भारद्वाज, आम आदमी पार्टी ने जयचंद, बीएसपी ने लाला राम को अपना प्रत्याशी बनाया है.

इस लोकसभा क्षेत्र के अंर्तगत 17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें से 11 पर कांग्रेस का कब्जा है. एक सीट हिलोपा के पास है जिसका समर्थन आम आदमी पार्टी को है. शेष सीटें भाजपा के पास हैं. राजा वीरभद्र सिंह ने अपनी सरकार में इस लोकसभा क्षेत्र से चार मंत्री और तीन मुख्य संसदीय सचिव बना रखे हैं.

2009 के लोकसभा चुनावों में वीरभद्र सिंह इस क्षेत्र से लगभग 14 हजार मतों से विजयी हुए थे. बाद में विधानसभा चुनावों में विधायक चुने जाने और मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने संसद से त्यागपत्र दे दिया था. वीरभद्र के त्यागपत्र के बाद क्षेत्र में उपचुनाव हुए थे. उपचुनाव में मुख्यमंत्री की पत्नी प्रतिभा सिंह को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया था. प्रतिभा सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी को सवा लाख के लगभग मतों से पराजित किया था. उस चुनाव में प्रतिभा सिंह को सिराज विधानसभा छोड़कर शेष सभी सीटों से बढ़त मिली थी.

इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कांग्रेस के कब्जे वाले सभी विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों एवं मंत्रियों ने रानी को सफल बनाने के लिये अपनी सारी शक्ति झोंक रखी है. क्योंकि मंत्री रानी के अपने क्षेत्र से इन चुनावों में रानी अधिक से अधिक मत दिलवाकर अपना मंत्री पद सुरक्षित करने में लगे हुए हैं जबकि विधायक व मुख्य संसदीय सचिव इसलिए दिन-रात एक कर रहे हैं ताकि मुख्यमंत्री की उन पर नजरेइनायत हो जाए और उन्हें मंत्री पद हासिल हो जाए. इसके इलावा प्रदेश की सरकार ने भी इस क्षेत्र में अपनी सम्पूर्ण ताकत झोंक रखी है. प्रतिभा सिंह को राज्य सरकार के कायरे का भी लाभ मिल सकता है. वैसे भी अभी वीरभद्र सिंह को सरकार बनाए और प्रतिभा सिंह को सांसद बने केवल छह महीने ही हुए हैं. ऐसे में उन्हें नकारात्मक मतों का भय नहीं है.

भाजपा ने अपने संगठन के एक पदाधिकारी राम स्वरूप शर्मा को रानी प्रतिभा सिंह के मुकाबले मैदान में उतारा है. शर्मा चुनावी रण में एक दम नये खिलाड़ी हैं. उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा है. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राजनीतिक चाल चलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को हमीरपुर में अनुराग ठाकुर की सीट में उलझा कर रख दिया है. जिसके कारण वह राज्य की अन्य सीटों पर चुनाव प्रचार के लिए कम ही जा पा रहे हैं. राम स्वरूप को मोदी की रैली का ही सहारा है. वैसे भाजपा के नेता मुख्यमंत्री के गढ़ को ध्वस्त करने के लिये रात-दिन मेहनत कर रहे हैं.

2009 के चुनावों में वीरभद्र सिंह ने 47.82 प्रतिशत मत प्राप्त करके विजय प्राप्त की थी. उस समय उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा के माहेवर सिंह को 45.86 फीसद मत पड़े थे. यदि इस लोकसभा क्षेत्र का इतिहास देखा जाए तो यह सीट कांग्रेस प्रभाव वाली अधिक रही है. 1957 से 1977 तक इस पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. 1977-79 में जनता पार्टी के गंगा राम, 1989-91 1998-99 और 1999-2004 में यहां से भाजपा के महेवर सिंह विजयी हुए थे. इसके इलावा इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. 11 लाख 35 हजार 792 मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में बहुत से दुर्गम क्षेत्र शामिल है. इन क्षेत्रों में मतदान के लिये लोगों को कई किमी पैदल चलकर जाना पड़ता है.



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