गोपाल कांडा ने हुड्डा सरकार से समर्थन वापस लिया,धोखा देने का आरोप
हरियाणा के पूर्व मंत्री और सिरसा सिटी से निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा ने भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है.
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एयर-होस्टेस गीतिका शर्मा आत्महत्या कांड में मुकदमे का सामना कर रहे कांडा ने कहा कि शुक्रवार को वह अपनी पार्टी का गठन करेंगे. 46 वर्षीय विधायक ने आज राजभवन में राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया से भेंट कर उन्हें समर्थन वापस लेने की चिट्ठी सौंपी.
आत्महत्या कांड में दिल्ली की अदालत से जमानत मिलने के करीब एक महीने बाद कांडा ने यह कदम उठाया है.विधायक ने मुख्यमंत्री पर मुश्किल में साथ छोड़ने का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा, ‘2009 में जब कांग्रेस सरकार को बहुमत की कमी थी, उसका समर्थन करने वाला मैं पहला व्यक्ति था.’ हालांकि कांडा ने कहा कि उनके ‘विश्वास के साथ धोखा’ हुआ है और कई ऐसे अवसर आए जब मुख्यमंत्री हुड्डा उनके साथ खड़े नहीं हुए.
दिल्ली अदालत में उनके खिलाफ चल रही सुनवायी के बारे में गोपाल कांडा ने कहा, ‘आरंभिक दिनों में ही मुख्यमंत्री हुड्डा को गीतिका शर्मा का सुसाइड नोट सामने आते ही उसकी जांच करने को कहना चाहिए था, क्योंकि उसमें उनके एक मंत्री का नाम आया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.’
उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री को इस नोट (सुसाइड) की जांच करानी चाहिए थी.’ अगस्त 2012 में इस मामले में संलिप्तता के कारण पद से इस्तीफा देने को मजबूर किए जाने से पहले कांडा हुड्डा सरकार में मंत्री हुआ करते थे.
उन्होंने कहा, ‘मैं मामले के बारे में ज्यादा नहीं कहूंगा क्योंकि वह विचाराधीन है, मुझे न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है और सच सामने आएगा.’
चिट्ठी जमा करने के बाद कांडा ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वह दो मई को गुड़गांव में अपने राजनीतिक दल हरियाणा लोकहित पार्टी का गठन करेंगे. राज्य के गृहमंत्री रहे कांडा ने हुड्डा सरकार पर आरोप लगाया कि वह अपने मंत्रियों और विधायकों के फोन टैप करती है.
उन्होंने दावा किया कि हुड्डा के मंत्री ‘शक्तिहीन’ हैं और सरकार के कामकाज में उनकी कोई सुनवायी नहीं है.
कांडा ने कहा, ‘बतौर गृहमंत्री, मैं जानता था कि मेरे फोन, कुछ अन्य मंत्रियों और विधायकों के भी फोन टैप किए जा रहे हैं. मैं इसे मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी लाया था, क्योंकि यह बहुत संवेदनशील मामला था लेकिन कुछ नहीं हुआ.’
हालांकि कांडा के समर्थन वापस लेने से हरियाणा की कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है. फिल्हाल विधानसभा में कांग्रेस के 45 विधायक हैं, इनमें से पांच हरियाणा जनहित कांग्रेस के सदस्य हैं जो चार वर्ष पहले पार्टी में शामिल हुए थे.
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