झारखंड और बिहार के पूर्व राज्यपाल रामा जोइस का निधन, मोदी, नीतीश ने जताया शोक
झारखंड और बिहार के पूर्व राज्यपाल और जाने-माने न्यायविद न्यायमूर्ति मंडागादे रामा जोइस का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण मंगलवार को निधन हो गया।
रामा जोइस(फाइल फोटो) |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रिटायर्ड जज और बिहार और झारखंड के पूर्व राज्यपाल एम. रामा जोइस के निधन पर दुख व्यक्त किया, जिनका बेंगलुरु में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। एक ट्वीट में, प्रधानमंत्री ने कहा, "न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) एम. रामा जोइस एक बड़े बुद्धिजिवी और न्यायविद थे। वह अपनी बुद्धि और न्याय के क्षेत्र में योगदान से भारत के लोकतांत्रिक तानेबाने को मजबूत बनाने के लिए सराहे जाते रहे हैं। उनके निधन से दुखी हूं। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।"
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एम रामा जोइस के निधन पर शोक प्रकट किया है।
बिहार सरकार ने जोइस के सम्मान में मंगलवार को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा, ‘‘एम रामा जोइस बिहार के साथ-साथ झारखंड के भी राज्यपाल रह चुके थे। वे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रहे थे। जोइस ने कई किताबें लिखी थीं। उनके निधन से राजनीतिक, सामाजिक तथा विधि एवं न्याय के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुयी है।’’
मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
जोइस परिवार के करीबी सूत्रों ने मीडिया को बताया। वह 89 वर्ष के थे। सूत्रों ने कहा, जोइस को कार्डियक अरेस्ट हुआ। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।
जोइस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अनुयायी थे और देश में राम जन्मभूमि आंदोलन के शुरुआती समर्थकों में से एक थे।
उनका जन्म 27 जुलाई, 1931 को हुआ था और वह इस साल 90 साल के हो गए होते। वह राज्यसभा के पूर्व सदस्य थे और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी सेवा दे चुके थे।
जोइस का जन्म कर्नाटक के शिवमोगा जिले के अरगा गांव में नरसिम्हा जोइस और लक्ष्मीदेवम्मा के घर हुआ था। उन्होंने शिवमोगा और बेंगलुरु में अध्ययन किया और बी.ए., बी.एल. डिग्री ली और कुवेम्पु यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लॉज की मानद उपाधि से सम्मानित किया था।
उन्होंने 1959 में अधिवक्ता के रूप में दाखिला लिया और एस के वेंकटरांगा अयंगर के चैंबर में थे।
उन्हें 1977 में कर्नाटक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्होंने कई अवसरों पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है। उन्हें मई 1992 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
वह अंग्रेजी और कन्नड़ दोनों भाषाओं में लिखते थे। उन्होंने सर्विस लॉ, हेबियस कॉर्पस लॉ, संवैधानिक कानून पर कई किताबें लिखी थीं।
जोइस को आपातकाल के दौरान जेल में रखा गया था और बेंगलुरु सेंट्रल जेल में रखा गया था।
वह कम उम्र से ही आरएसएस से जुड़े थे और न्यायपालिका से सेवानिवृत्त होने के बाद आधिकारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे।
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