बिहार में बच्चों की रहस्यमय मौत के पीछे लीची : अध्ययन रिपोर्ट

Last Updated 01 Feb 2017 03:01:16 PM IST

बिहार में हालिया वर्षो में बच्चों की अचानक होने वाली मौतों का रहस्य सुलझता नजर आ रहा है. वैज्ञानिकों के एक समूह ने पाया है कि लीची खाने के कारण ये बच्चे रहस्यमय दिमागी बीमारी की चपेट में आए जिसने उनकी जान ले ली.


(फाइल फोटो)
लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक नयी अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है . 
   
भारत में सर्वाधिक लीची उत्पादन वाले बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में हर साल बच्चे एक भीषण न्यूरोलोजिकल बीमारी की चपेट में आ रहे हैं जो अब तक रहस्यमय तरीके से सैंकड़ों बच्चों की जान ले चुका है. 
    
एक समय यह माना जा रहा था कि गर्मी, नमी, कुपोषण, मानसून तथा कीटनाशक मिलकर इस बीमारी को फैला रहे हैं . 
    
शोधकर्ताओं ने बताया, ‘हमारा मकसद इस बीमारी के कारणों और खतरों की जांच करना था.’
    
नयी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय बीमारी नियंतण्रकेंद्र और अमेरिका के सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने अस्पताल में मामलों की निगरानी की और इस भीषण बीमारी के संभावित संक्रामक और गैर संक्रामक मामलों के आकलन के लिए प्रयोगशाला में जांच की.
 
    
वर्ष 2014 में मुजफ्फरपुर के दो अस्पतालों में 15 या उससे कम उम्र के बच्चों को भर्ती कराया गया था. इन बच्चों के रक्त, सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड और पेशाब के साथ ही लीची के नमूने लिए गए और संक्रामक पैथोजन, कीटनाशक और विषाक्त तत्वों के लिए जांच की गयी. 
    
शोधकर्ताओं का कहना है कि 26 मई से 17 जुलाई 2014 के बीच इस प्रकार की बीमारी से पीड़ित 390 बच्चों को मुजफ्फरपुर के इन दोनों अस्पतालों में भर्ती कराया गया और इनमें से 122 (31 फीसदी) की मौत हो गयी. 
    
बीमारी की चपेट में आने के बाद के 24 घंटे में लीची का सेवन और शाम का भोजन नहीं करने का इस बीमारी से संबंध पाया गया. 
    
शाम का भोजन नहीं मिलने के चलते लीची खाने से बीमारी पर प्रभाव पड़ा. इसमें संक्र मित तत्वों और कीटनाशकों की जांच नकारात्मक पायी गयी. 
   

शोधकर्ताओं का कहना है, ‘बीमारी को रोकने और क्षेत्र में मृत्युदर को कम करने के लिए हम लीची के सेवन को कम करने, शाम का भोजन सुनिश्चित करने और संदिग्ध मामलों में ग्लूकोस का स्तर दुरूस्त करने की सिफारिश करते हैं.’

भाषा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment