सर्वोच्च न्यायालय में होगी नीलूराणा हत्यì

Last Updated 09 Feb 2010 09:13:40 PM IST


नयी दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान सरकार और सी़बी़आई़ द्वारा दायर की गई अलग-अलग विशेष अनुमति याचिकाओं को स्वीकार करते हुए राजस्थान के बहुचर्चित नीलूराणा हत्याकांड मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा दोष मुक्त किए गए अकुंश वधावा और द्वारका प्रसाद के विरुद्घ मामले की सुनवाई करने की अनुमति प्रदान की है। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश एच़एस बेदी और न्यायाधीश जे एम़ पंचाल की खण्डपीठ के सामने सोमवार को सूचीबद्घ हुए इस मामले में सी़बी़आई़ की ओर से केंद्र सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता हरिन पी़ रावल और राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता डॉ़ मनीष सिंघवी ने पैरवी की। राजस्थान के कोटा संभाग में 20 मई, 1998 को घटित हुए नीलूराणा हत्याकांड मामले में निचली अदालत द्वारा आरोपी अकुंश वधावा और पुलिस अधिकारी द्वारका प्रसाद को दोषी करार दिया गया था तथा अकुंश वधावा को भारतीय दंड संहिता (आई़ पी़ सी़ ) की धारा 302 के अन्तर्गत दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जांच के दौरान ही यह मामला केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सी़बीआई) को भी हस्तान्तरित कर दिया गया था। निचली अदालत के फैसले के विरूद्घ राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका को स्वीकार करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने 20 नवम्बर, 2008 को दिए गये अपने फैसले में अकुंश वधावा और द्वारका प्रसाद को दोष मुक्त करार दिया। राजस्थान उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सी़बी़आई़) और राजस्थान सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पृथक-पृथक विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गई, जिसे स्वीकार करते हुए सवोच्च न्यायालय ने राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मामले की सुनवाई करने की अनुमति प्रदान कर दी।



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