सरकार से जनता का मोहभंग : आडवाणी
भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि जनता कांग्रेस के कुशासन और भ्रष्टाचार से परेशान होकर भाजपा की तरफ देख रही है.
भाजपा अधिवेशन में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी और अरुण जेटली |
आए दिन पार्टी लाइन के खिलाफ बयानबाजी करने और गुटबाजी से कुपित भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि जनता कांग्रेस के कुशासन और भ्रष्टाचार से परेशान होकर भाजपा की तरफ देख रही है. ऐसे में पार्टी एक विश्वसनीय विकल्प बनकर दिखाए. भाजपा को पार्टी शासित राज्यों व स्थानीय निकायों को भ्रष्टाचार से मुक्त कर देश के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना होगा.
लालकृष्ण आडवाणी बहुत दिनों बाद लय में दिखे. तीन दिन की कार्यकारिणी और कार्यपरिषद के अधिवेशन में एक अनुशासित कार्यकर्ता की तरह चुपचाप बैठकर वह वक्ताओं को सुन रहे थे. आज तीसरे दिन जब अधिवेशन समापन के लिए वह खड़े हुए तो लग रहा था कि वह स्मरण सुनाकर नेताओं में कोई रुचि पैदा नहीं कर पाएंगे लेकिन जब उन्होंने बोलना शुरू किया तो उनींदे नेताओं की नींद काफूर हो गई.
मीडिया वाले भी अचानक सक्रिय हो गए. आडवाणी ने पार्टी के अभिभावक और देश के भावी प्रधानमंत्री की तरह से भाषण दिया. करीब डेढ़ घंटे के भाषण में उन्होंने अपने लोगों से कहा कि यूपीए सरकार से लोगों का मोहभंग हो चुका है. अब उनमें आक्रोश है और यही आक्रोश देश में बदलाव करेगा. जनता भाजपा की तरफ देख रही है. भाजपा को एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में उभरना होगा.
आडवाणी ने कहा कि उनके पास 1998 व 1999 का अवसर दोहराने का समय है. उन्होंने विसनीय विकल्प बनने के लिए तीन बिंदु रखे. पहला पार्टी में एक आवाज में बोलना चाहिए, अनेक आवाजों में बोलने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. दूसरा भाजपा नेताओं को राजनीति और प्रशासनिक सुचिता को अपनी खासियत बनाना चाहिए और अपने को पाक-साफ रखना चाहिए ताकि जब वे भ्रष्टाचार की बात करें तो लोगों को भाजपा की खासियत याद आए. तीसरा भाजपा ही देश को भ्रष्टाचारमुक्त बना सकती है. उन्होंने कहा कि यदि भाजपा में भ्रष्टाचार के संकेत मिलते हैं तो उससे कठोरता से निपटा जाना चाहिए.
अल्पसंख्यकों की तरफ पासा फेंका : कट्टर छवि वाले लालकृष्ण आडवाणी ने अल्पसंख्यकों की तरफ भी पासा फेंका. उन्होंने कहा कि भाजपा को अल्पसंख्यकों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाना चाहिए और कहना चाहिए कि भाजपा धर्मनिरपेक्षता के प्रति वचनबद्ध है. उन्होंने इस्लाम पर बनी विवादित फिल्म की कड़ी निंदा की.
एनडीए प्लस पर फोकस : आडवाणी ने आगामी चुनाव की संभावनाओं को देखते हुए एनडीए का कुनबा बढ़ाने की आवश्यकता जताई है. उन्होंने कहा कि एनडीए को सरकार में आने के लिए व्यापक बनना होगा और सहयोगियों को आासन देना होगा कि भाजपा को लेकर कोई आशंका न पाले.
न्यूनतम साझा कार्यक्रम पेश किया : आगामी चुनाव को देखते हुए आडवाणी ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय कर दिया है. इसे सुशासन के लिए ‘समान राष्ट्रीय प्रतिबद्धता’ नाम दिया है. इसमें नौ बिंदु शामिल किए गए हैं. इनमें सहकारी संघवाद, राज्यों को ज्यादा शक्तियां देना, पिछड़े, दबे, कुचले वर्ग, किसान, अल्पसंख्यक, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के हित में आर्थिक सुधार करना, सुशासन, सामाजिक सद्भावना, आतंकवाद पर जीरो टोलरेंस आदि शामिल हैं.
मनमोहन को कमजोर प्रधानमंत्री कहना सच साबित हुआ : आडवाणी ने कहा कि जब उन्होंने मनमोहन सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री कहा था तो उनकी आलोचना हुई थी लेकिन आज उनकी बात सच साबित हो गई है. पहली बार ऐसा हो रहा है कि देश की सरकार कोई और चला रहा है और उसका रिमोट कंट्रोल कहीं और है. आडवाणी ने कहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार और महंगाई में इतनी फंस चुकी है कि अब इसे जाना ही होगा. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं करेगी और 2014 से पहले चुनाव हो जाएंगे.
संकल्प लिया : आडवाणी ने राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों को संकल्प भी दिलाया. संकल्प यह था- ‘हम संकल्प करते हैं कि हम देश को कांग्रेस के भ्रष्टाचार एवं कुशासन से मुक्त करेंगे और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए लोकतांत्रिक संघर्ष करते रहेंगे. 21वीं शताब्दी भारत की शताब्दी होगी.’
| Tweet |