Lok Sabha Election 2024 results : अबकी बार ’बंधन‘ सरकार, बहुमत से दूर रह गई BJP, NDA सहयोगियों ने बचाई लाज

Last Updated 05 Jun 2024 06:07:42 AM IST

क्या प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) का जादू फीका पड़ता जा रहा है? 2019 के मुकाबले 60 से ज्यादा सीटों का नुकसान तो इसी तरफ इशारा कर रहा है। भाजपा बहुमत से भी करीब 32 सीटें नीचे रह गई।


बहुमत से दूर रह गई BJP, NDA सहयोगियों ने बचाई लाज

लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा 240 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। इसलिए इस बार भाजपा को सरकार बनाने के लिए एनडीए के सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा। दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के दलों ने उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में भाजपा के उम्मीद के आंकड़ों को बदल दिया है। उत्तर प्रदेश में 80 में से भाजपा को 33 सीटें मिली हैं। सपा ने 37 सीटें हासिल की हैं। कांग्रेस भी 8 सीटें जीतने में सफल रही। रालोद व अपना दल को एक-एक सीट मिली।

इन मुद्दों की वजह से BJP के लिए उत्साहवर्धक नहीं रहे परिणाम

2024 का चुनाव परिणाम भाजपा के लिए उत्साहवर्धक नहीं रहे। अग्निवीर, किसान आंदोलन, महंगाई और बेरोजगारी पार्टी पर भारी पड़ गया। राम मंदिर निर्माण पर जनता ने भाजपा को वोट नहीं दिया। लगातार दो बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार बहुमत से दूर रह गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 400 का नारा काम नहीं किया। हालांकि 400 पार का नारा भाजपा को बहुत नीचे लाने से रोकने में सफल रहा।

चुनावों में अग्निवीर का मुद्दा सब जगह हावी रहा। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में किसानों और जाट समुदाय की नाराजगी ने भी भाजपा को बहुत नुकसान पहुंचाया।  हरियाणा में पार्टी को 10 में से केवल पांच सीटें मिल पाई। पंजाब में 13 में से पार्टी को कोई सीट नहीं मिल पाई। राजस्थान उत्तर प्रदेश व हरियाणा में अग्निवीर का मुद्दा खूब चला। राहुल गांधी ने अग्निवीर को खत्म करने की घोषणा कर दी थी किसी से लोग इंडिया गठबंधन की तरफ मुड़े। कांग्रेस 99 सीटें जीतने में कामयाब रही।

बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा

रोचक बात यह है कि भाजपा का मत प्रतिशत कम नहीं हुआ है। पिछली बार भाजपा को 37.5% वोट मिले थे। इस बार उसका वोट प्रतिशत 38.5 हो गया। यानी मत प्रतिशत तो बढ़ा, लेकिन वोट बैंक बंटने के कारण उसे नुकसान हुआ। राहुल गांधी और ‘इंडिया’ गठबंधन ने ओबीसी जनगणना की बात की और भाजपा पर एससी/एसटी आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया। इसके कारण राम मंदिर के नाम पर जो हिंदू वोट जातियों से ऊपर उठकर एकजुट हो गया था। वह इस बार फिर बिखर गया और ओबीसी खासकर यादव वोट उत्तर प्रदेश में ‘इंडिया’ गठबंधन और बिहार में राजद के पास चले गए।

बिहार में भी परिणाम उल्टे रहे बीजेपी के लिए

बिहार में अनुमान लगाया जा रहा था कि जदयू को नुकसान हो रहा है और भाजपा अपनी पुरानी सीटें बचाने में कामयाब रहेगी, लेकिन उल्टा हुआ है। बिहार में एनडीए घटक जद(यू) को 12 सीटें मिली हैं। इतनी ही सीटें भाजपा को मिली हैं। लेकिन बिहार की जनता ने लालू परिवार को भी ज्यादा समर्थन नहीं दिया। राम मंदिर मुद्दा यूपी में नहीं चला और पार्टी को अयोध्या-फैजाबाद सीट के भी लाले पड़ गए। भगवान राम अरु ण गोविल मेरठ में मुश्किल से जीत दर्ज कर पाए हैं।

भाजपा ने ओडिशा में बहुत बड़ी छलांग लगाई है। पार्टी ने न केवल वहां लोकसभा की अधिकतम सिम जीत ली है, बल्कि राज्य में सरकार बनाने में भी कामयाब हो गई है। तेलंगाना में भाजपा ने बहुत बड़ी जीत हासिल की। उसकी लोकसभा की संख्या चार से बढ़कर आठ हो गई है। कांग्रेस को आठ और हैदराबाद से असदुद्दीन ओवैसी जीतने में सफल रहे।

आंध्र प्रदेश में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन

आंध्र प्रदेश में भी भाजपा ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। टीडीपी के साथ मिलकर बीजेपी तीन सीट जीतने में सफल रही है, जबकि टीडीपी को 16 सीटें मिली हैं। वाईएसआर कांग्रेस 22 से घटकर 4 पर सिमट गई है, जबकि एनडीए के घटक दल जंप को दो सीटें मिली हैं। केरल में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है और एक सीट जीत गई है।

हरियाणा में जाट हुए बीजेपी से नाराज

राजस्थान में वसुंधरा को मुख्यमंत्री न बनाना भाजपा को महंगा पड़ गया। यदि वसुंधरा होती तो पार्टी को हार का सामना नहीं करना पड़ता। हरियाणा में जाट और किसान भाजपा से इस कदर नाराज था कि गांव में पार्टी के कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रचार तक नहीं करने दिया जा रहा था। मुख्यमंत्री नायब सैनी के मंच को भी लोगों ने तोड़ दिया था। पश्चिम बंगाल में भाजपा को उम्मीद से कम सीटें मिलीं। वहां ममता बनर्जी ने कमाल का प्रदर्शन किया।

पश्चिम बंगाल में ममता की सफलता

ममता बनर्जी की सीटें 22 से बढ़कर 29 और भाजपा की 18 से गिरकर 12 रह गई। महाराष्ट्र में एनडीए को 48 में से 18, कांग्रेस को 13, शिवसेना (उद्धव) 9, राकांपा 7 सीटें मिली। ओडिशा में भाजपा का शानदार प्रदर्शन रहा। पार्टी ने 21 में से 19 सीटों पर जीत दर्ज की। बीजद को केवल एक सीट मिली। कर्नाटक में इस बार भाजपा नुकसान की स्थिति में रही। उसे पिछली 25 सीटों की तुलना में 17 सीटें ही मिली। तमिलनाडु में पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई। वहां द्रमुक को 22 और कांग्रेस को 9 सीट मिली।

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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