छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के परिवार के सामने इस बार के चुनाव में विरासत को बचाने की चुनौती है।
|
इस परिवार के तीन सदस्य छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। इस चुनाव में यह इकलौता ऐसा परिवार होगा जिसके तीन सदस्य सियासी मैदान में ताल ठोक रहे हैं।
छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद वर्ष 2000 में अस्तित्व में आया था और कांग्रेस के विधायकों की संख्या ज्यादा होने पर अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
बाद में अजीत जोगी की कांग्रेस से दूरियां बढी और उन्होंने छत्तीसगढ जनता कांग्रेस का गठन किया। अब अजीत जोगी तो नहीं हैं मगर उनके परिवार के सदस्य उनकी सियासी विरासत को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं।
राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में सात और 17 नवंबर को मतदान होना है। इन चुनाव में जनता कांग्रेस के तीन सदस्य -- अमित जोगी पाटन से, रेणु जोगी कोटा से और ऋचा जोगी अकलतरा से किस्मत आजमा रहे हैं।
राज्य की सियासत पर गौर करें तो जोगी परिवार की सियासी हैसियत एक तरफ कम हो रही है तो दूसरी ओर उसके वोट बैंक पर भी असर पड़ रहा है। वर्तमान में इन तीन सदस्यों में सिर्फ रेणु जोगी ही विधायक हैं और वह एक बार फिर कोटा सीट से मैदान में हैं।
जनता कांग्रेस ने बीते चुनाव में लगभग साढे़ सात फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने के साथ पांच स्थानों पर जीत दर्ज की थी। मगर अजीत जोगी और देवव्रत सिंह की मृत्यु के बाद उपचुनाव हुए और दोनों स्थानों पर जनता कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
इतना ही नहीं दो विधायक धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा अलग हो गए, अब कोटा सीट का प्रतिनिधित्व रेणु जोगी के पास है। इस तरह इस चुनाव में जितने भी उम्मीदवार जनता कांग्रेस ने उतारे हैं, उनमें सिर्फ एक ही विधायक है।
राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि जोगी परिवार का आदिवासी वर्ग में प्रभाव है और इसके चलते ही जनता कांग्रेस राज्य की तीसरी ताकत के तौर पर पहचानी जाती है। मगर यह ऐसा चुनाव है जिसमें जोगी परिवार को अपनी ताकत का एहसास करना होगा और यह भी बताना होगा कि अब भी उनके पास जन आधार है, यह बड़ी चुनौती है।
| | |
|