नक्सलियों को नस्तनाबूद करने के लिए जंगलों में तैनात होंगे स्नाइपर

Last Updated 21 Dec 2024 08:15:35 AM IST

नक्सलियों की अब खैर नहीं। नक्सलियों के मांद में घुसकर ढेर करने का बड़ा प्लान तैयार जो गया है।


नक्सलियों को नस्तनाबूद करने के लिए जंगलों में तैनात होंगे स्नाइपर

सूत्रों के अनुसार  सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो बन नक्सलियों के लिए काल बन रहे हैं। सूत्रों ने बताया है कि हर ऑपरेशन और फॉर्वड ऑपरेटिंग बेस पर घातक कोबरा के स्नाइपर तैनात किए गए हैं।

कोबरा कमांडो को स्नाइपर राइफल देने के पीछे का मकसद यह है कि नक्सली जिस तरीके से छिपकर वार करते हैं, उन पर सीधे दूर से निशाना लगाया जा सके। सूत्रों ने बताया कि इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक बैठक में आदेश दिए गए, जिसके बाद यह फैसला लिया गया।

सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में फॉर्वड ऑपरेटिंग बेस जहां-जहां नक्सलियों के गढ़ में बनाए जा रहे हैं, वहां हर जगह स्नाइपर राइफल के साथ प्रशिक्षित जवानों को तैनात किया जाएगा, ताकि नक्सलियों पर सटीक निशाना लगाया जा सके।

सूत्रों के अनुसार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को ‘मेक इन इंडिया‘ के तहत खास तरीके का माइंस प्रोटेक्टेड व्हीकल दिया गया है।यह व्हीकल ऑल-वेदर टेरेन में चल सकती है। इस व्हीकल के जरिए जवान एक जगह से दूसरी जगह जा सकते हैं। पूरी तरह से बुलेटप्रूफ इस माइंस प्रोटेक्टेड व्हीकल पर 100 किलो तक का  आईईडी धमाका भी असर नहीं डालता।

अगर नक्सली इलाकों की बात करें तो 2012 में जहां 36 जिले नक्सल प्रभावित थे, 2024 में यह संख्या घटकर केवल 12 जिले रह गई है। नक्सली घटनाएं, जो 2013 में 76 जिलों के 330 पुलिस स्टेशनों में होती थीं, 2024 के सितंबर तक घटकर केवल 31 जिलों के 104 पुलिस स्टेशनों तक सिमट गई हैं।

सबसे खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र, जो 2014 में 18,000 स्क्वायर किलोमीटर में फैला था, 2024 में घटकर 8,500 स्क्वायर किलोमीटर रह गया है। पिछले 5 वर्षो में 289 कैंप बनाए गए हैं और सैकड़ों फॉर्वड ऑपरेटिंग बेस नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थापित किए गए हैं।

इस साल सुरक्षा बलों ने ढाई सौ से अधिक नक्सलियों को ढेर किया है।करीब 1,000 के आसपास नक्सली गिरफ्तार हुए हैं और 850 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इसके अलावा, इस साल 14 से अधिक टॉप नक्सली कमांडरों को न्यूट्रलाइज किया गया है, जिसे अब तक की सबसे बड़ी सफलता माना जा रहा है।

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


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