One Nation-One Election: ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल सोमवार को नहीं होगा पेश

Last Updated 15 Dec 2024 12:43:46 PM IST

सोमवार को लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का बिल पेश नहीं होगा। लोकसभा की संशोधित तालिका में भी यह बिल सूचीबद्ध नहीं है।


इस बिल की कॉपी लोकसभा के सभी सांसदों को भेज दी गई है, ताकि वो इसका अध्ययन कर सकें।

20 दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र है। अगर सोमवार को इस बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया, तो ऐसी स्थिति में महज इसे पेश करने के लिए चार दिन शेष रह जाएंगे।

12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई थी। कैबिनेट ने दो ड्रॉफ्ट कानूनों को मंजूरी दी थी। जिसमें से एक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है, जबकि दूसरा विधेयक विधानसभाओं वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों के एक साथ चुनाव कराने के संबंध में हैं।

वहीं, वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कोई इसका समर्थन कर रहा है, तो कोई इसका विरोध कर रहा है।

भाजपा नेता और केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में वन नेशन वन इलेक्शन की पैरोकारी की थी।

उन्होंने कहा था, "एक देश, एक चुनाव' देश के हित में है। इससे विकास में कोई रुकावट नहीं आती। खर्चों में कटौती होगी और पैसे की बचत होगी। अगर हम 1967 तक देखें, तो देश में 'एक देश, एक चुनाव' ही हो रहा था और उस समय संघीय संरचना पर कोई आंच नहीं आई थी। यह कहना कि संघीय संरचना पर चोट पड़ रही है, गलत है। वास्तव में, यह देश को और मजबूत बनाएगा और विकास को गति देगा। अगर कहीं कुछ बदलाव होंगे, तो वह कानून के अनुसार होंगे और लोग उस पर अपनी राय देंगे।"

वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता हुसैन दलवई ने आईएएनएस से बातचीत में कहा था, "यह नुकसानदेह होगा, क्योंकि हमारे देश में संघीय ढांचा है।

ऐतिहासिक रूप से भारत कभी भी एक इकाई के रूप में एकीकृत नहीं था। यह ब्रिटिश काल के दौरान और महात्मा गांधी के आंदोलन के प्रयासों के माध्यम से एक साथ आया, इसे याद रखना चाहिए। हर क्षेत्र की भाषा और संस्कृति अलग-अलग है।

केंद्र के दिमाग में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का मतलब एक पार्टी का रूल है। केंद्र सरकार यहां पर एक पार्टी का रूल लाना चाहती है। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि वह यह नहीं ला पाएंगे। संविधान में उसका कोई स्थान नहीं है। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' लोग नहीं मानेंगे।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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