संघ-भाजपा के बीच उलझी भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी
भाजपा और आरएसएस के बीच सहमति न बनने के कारण भाजपा के नए अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी हो गई है। आम चुनाव के बाद वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा के स्थान पर नए अध्यक्ष की नियुक्ति 30 जून के बाद हो जानी चाहिए थी। लेकिन अब यह प्रक्रिया सदस्यता अभियान के बाद बाद शुरू होगी।
भाजपा और आरएसएस |
मंथन चल रहा है कि नए अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया अक्टूबर में शुरू करने से पहले किसी कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति की जाए या नए अध्यक्ष का चुनाव होने तक जेपी नड्डा को पार्टी अध्यक्ष बना रहने दिया जाए।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पिछले साल दिसंबर में समाप्त हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनका कार्यकाल चुनाव संपन्न होने तक 30 जून 2024 तक बढ़ाया गया था। लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ तल्खी भी हो गई थी। तमाम कारणों से भाजपा की सीटें 2019 के 303 सीटों के मुकाबले 2024 में घटकर 240 रह गई। आरोप यह भी लगाया गया कि इस चुनाव में संघ ने बहुत बढ़चढ कर हिस्सा नहीं लिया था, जिसके कारण भाजपा को नुकसान हुआ।
चुनाव परिणाम के बाद भाजपा की जगह एनडीए की सरकार बन गई। जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्त हो रहा था, इसलिए उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस बार भी अपनी पसंद से पार्टी अध्यक्ष नियुक्त करना चाह रहा था। लेकिन संघ की तरफ से वीटो है। सूत्रों का कहना है कि इस बार संघ ऐसे व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष पर देखना चाहता है जो संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर सके एवं सरकार पर भी नजर रखे।
सूत्रों का कहना है कि संघ की पंसद नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान हैं तो प्रधानमंत्री मोदी की पंसद मनोहर लाल खट्टर और भूपेंद्र यादव थे। दोनों पक्षों में सहमति नहीं बनी तो प्रधानमंत्री ने चारों नेताओं को केंद्र में मंत्री बना दिया। अब पार्टी का अध्यक्ष इन नेताओं के इतर ढूंढना होगा। हालांकि भाजपा नेतृत्व की तरफ से अनुराग ठाकुर को रिजर्व में रखा गया है।
संघ की तरफ से हरी झंडी न मिलने के कारण अध्यक्ष की नियुक्ति में देर हो रही है। इस बीच पार्टी ने तय किया है कि नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाए। इस प्रक्रिया में दो महीने से अधिक का समय लगता है। आगामी पहली अगस्त से यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
अगस्त और सितम्बर में सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। अक्टूबर में सदस्यों के पत्रों की जांच की जाएगी। फिर राज्यों की कार्यकारिणी और प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी। प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति और कार्यकारिणी की बैठकों को सिलसिला लगभग पूरा होने वाला है।
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