मुसलमानों को मिले आर्थिक आधार पर आरक्षण : मदनी
प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुसलमानों को तबके (जाति) की बुनियाद पर नहीं, बल्कि समुदाय के सभी तबकों को आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए।
![]() प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी |
मदनी ने कहा कि मुसलमानों के हर तबके में पिछड़े लोग हैं।
उन्होंने कहा कि जिन्हें ‘अशराफ’ (मुस्लिमों का उच्च वर्ग) कहा जाता है, उनमें भी गरीब लोग हैं, लिहाजा मुस्लिमों को आर्थिक आधार पर आरक्षण मिले।
उन्होंने यह भी साफ किया कि इस्लाम में ‘अशराफ’ जैसा कुछ नहीं है और दावा किया कि इस तरह मुसलमानों के एक तबके को लाभ से दूर करने की कोशिश है।
कुछ नेताओं द्वारा मुसलमानों के एक वर्ग को अनुसूचित जाति श्रेणी के तहत आरक्षण देने की मांग को लेकर पूछे गए सवाल पर मदनी ने कहा, ‘ हम मुसलमानों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के समर्थक हैं, (मुसलमानों के लिए) तबके की बुनियाद पर आरक्षण नहीं होना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘आप देखिए कितने फीसदी मुस्लिम सरकारी नौकरियों में हैं. आज कितने फीसदी मुस्लिमों को सरकारी नौकरियां मिल रही हैं।’
मदनी ने पूछा, ‘ लाखों मुसलमान बड़ी-बड़ी निजी कंपनियों में नौकरियों में हैं,, क्या वे इस काबिल नहीं थे कि वे सरकारी नौकरी में आएं।’
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