बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र को सौंपी कर्नाटक BJP की कमान
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शुक्रवार को कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) के बेटे विजयेंद्र येदियुरप्पा (Vijayendra Yediyurappa) को पार्टी की राज्य इकाई का प्रमुख नियुक्त किया।
बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र को सौंपी कर्नाटक BJP की कमान |
भाजपा ने इसके जरिये युवा पीढ़ी को नेतृत्व सौंपने का पार्टी कार्यकर्ताओं को एक स्पष्ट संदेश दिया है।
विजयेंद्र की आश्चर्यजनक नियुक्ति लोगों पर दिग्गज लिंगायत नेता येदियुरप्पा के प्रभाव की पार्टी नेतृत्व की स्वीकार्यता को रेखांकित करती है। विजयेंद्र अभी भाजपा की कर्नाटक इकाई के उपाध्यक्ष हैं और वह येदियुरप्पा के छोटे बेटे हैं तथा शिवमोग्गा जिले के शिकारीपुरा से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए हैं।
नलिन कुमार कतील की जगह लेने वाले विधायक विजयेंद्र को कुशल संगठनात्मक नेता माना जाता है। कतील ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय से आते हैं।
येदियुरप्पा के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखे जाने वाले विजयेंद्र (47) की नियुक्ति के साथ ही कई महीनों से चल रही अटकलों पर विराम लग गया।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘यह नियुक्ति एक तरह से आश्चर्यजनक है, लेकिन नहीं भी... हालांकि, मुझे उम्मीद है कि इससे पार्टी की गतिविधियों को गति मिलेगी और शीर्ष स्तर पर कोई शून्यता नहीं आएगी।’’
इस पद के लिए पहले केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि के नाम चर्चा में थे।
येदियुरप्पा भाजपा की शीर्ष संगठनात्मक इकाई, संसदीय बोर्ड के सदस्य भी हैं।
उनके बड़े बेटे बी. वाई. राघवेंद्र लोकसभा सदस्य हैं और भाजपा ने अक्सर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि पार्टी राजनीति में एक परिवार के एक से अधिक सदस्यों को प्रोत्साहित न करती दिखे।
पार्टी द्वारा अब राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त करने की उम्मीद है। यह पद किसी गैर-लिंगायत विधायक को मिलने की संभावना है। इस तरह, लिंगायत नेता बसवराज बोम्मई को खारिज कर दिया जाएगा, जिन्होंने जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री के रूप में येदियुरप्पा की जगह ली थी।
सूत्रों ने बताया कि बोम्मई 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
मई में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद से ही उम्मीद की जा रही थी कि पार्टी के राज्य नेतृत्व में बदलाव होगा।
इस बात की प्रबल संभावना थी कि भाजपा अपनी राज्य इकाई का प्रमुख किसी लिंगायत नेता को बनाएगी लेकिन परिवारवाद के मुद्दे को नजरअंदाज करते हुए पार्टी ने पहली बार विधायक बने नेता को इस पद पर नियुक्त किया है।
भाजपा अक्सर अन्य दलों पर परिवारवाद को लेकर निशाना साधती रही है, लेकिन इस नियुक्ति ने येदियुरप्पा के राजनीतिक महत्व को रेखांकित कर दिया है कि चुनावी राजनीति से बाहर होने के बावजूद उनका प्रभाव कायम है।
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