इंद्रेश कुमार की मुस्लिमों से अपील, अयोध्या में 'इमाम ए हिंद राम' के विराजमान होने पर धूमधाम से मनाएं त्योहार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक, मुख्य सरंक्षक एवं संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने देश के मुस्लिम समुदाय से अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मंदिर के उद्घाटन की तारीख 22 जनवरी 2024 को धूमधाम से मनाने का आह्वान किया।
Ram Mandir |
उन्होंने कहा कि इंसानियत के मालिक और रचनाकार रामलला 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में अपने मंदिर में विराजमान हो जाएंगे और इसे सभी धर्मों के लोगों को बड़े त्योहार के रूप में मनाकर दुनिया को इंसानियत, अमन और शांति का पैगाम देना चाहिए। उन्होंने अपील की कि अयोध्या मंदिर में 'इमाम ए हिंद राम' के विराजमान होने पर 22 जनवरी 2024 का त्योहार धूमधाम से मनाएं। धनतेरस के मौके पर हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह से संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने अमन, भाईचारे और शांति के पैगाम की बात करते हुए कहा कि राम जनजन में हैं, कण कण में हैं। हर जन कण राम से हैं।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि अरब के लोग तो यह भी मानते हैं कि राम इमाम ए हिंद हैं, जिनके सुबह दीदार करने से जन्नत नसीब होती है, और जिनके संदेशों को आदर्श मान कर जिंदगी जीने वाला इंसान जन्नती होता है। उन्होंने कहा कि वह अपील करते हैं कि लोग किसी भी जात, धर्म, मजहब, दल या किसी भी मुल्क के हों अपने-अपने स्थानों पर चिराग रोशन कर 22 जनवरी 2024 को यह पैगाम दें कि हिंदुस्तान अब अमन और सकून के रास्ते पर चलेगा। उन्होंने कहा कि खुद आखिरी रसूल हजरत मोहम्मद ने फरमाया है कि हिंद नाम की सरजमीं ऐसी सरजमीं है जहां से मुझे भी सकून की ठंडी हवा आती है। इंद्रेश कुमार ने कहा कि वक्त आ गया है कि अब इस पैगाम को अमली जामा पहनाते हुए 22 जनवरी 2024 के त्योहार को धूम धाम से मनाएं।
सभी लोग अपने अपने धर्म पर चलें और दूसरे धर्मों का सम्मान करें, निंदा न करें और साथ ही एक दूसरे के त्योहारों में शिरकत भी करें तो समाज में कटुता नहीं रहेगी। आपको बता दें कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच पिछले कई वर्षों से धनतेरस पर देश की दरगाहों, मजारों, मस्जिदों, मदरसों और कब्रिस्तानों को रोशन कर इस दिन को जश्न ए चिरागां के रूप में मनाता हैं। इस मुहिम के बारे में बताते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि हर वर्ष मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा इस तरह के कार्यक्रम के कारण देश में अमन सकून चाहने वाली ताकतें बढ़ रहीं हैं और नफरत फैलाने वाली ताकतें कम होती जा रही हैं।
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