मुम्बई में होने वाली I.N.D.I.A की बैठक से दो दिन पहले क्यों पहुंचे लालू यादव ?
इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस यानि I.N.D.I.A गठबंधन की बैठक 31 अगस्त और एक सितम्बर को मुंबई में होने जा रही है।
![]() Laloo Prasad Yadav in Mumbai |
इस बैठक में उन सभी दलों के नेता शामिल हो रहे हैं जो अब से पहले की दो बैठकों में शामिल हो चुके हैं। हालांकि दावा यह भी किया गया है कि इस बैठक में कुछ नए दल भी शामिल हो सकते हैं। फिलहाल इस बैठक में शामिल होने के लिए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव अपने बेटे और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ दो दिन पहले ही मुंबई पहुँच गए। लालू का बैठक से दो दिन पहले मुंबई पहुँचने पर राजनैतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। अपने इस लेख के जरिए हम आपको बताने की कोशिश करेंगे कि आखिर लालू प्रसाद यादव दो दिन पहले ही मुंबई क्यों पहुँच गए। यहां बता दें कि मुंबई में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की संख्या लाखों में है। इन्ही वोटरों की वजह से पूरब और बिहार के कई लोग वहां की राजनीति में ना सिर्फ सक्रीय हुए बल्कि बड़े- बड़े पदों पर भी आसीन हुए।
ऐसे नेताओं में सबसे बड़ा नाम कृपाशंकर सिंह और संजय निरुपम का है। कृपा शंकर सिंह पहले कांग्रेस में हुआ करते थे। अब भाजपा के साथ हैं। वहीं संजय निरुपम बहुत पहले शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कृपाशंकर सिंह जहां कांग्रेस में रहते हुए मुम्बई जोन के अध्यक्ष बनाए गए थे वहीं जब वो भाजपा में आए तो उन्हें मंत्री भी बना दिया गया था।
अब ये दोनों नेता पिछले कई वर्षों से एक तरह से हासिए पर हैं। इनके अलावा मुम्बई में बिहार और पूरब का कोई बड़ा नेता अभी तक उभर नहीं पाया है। यानि लाखों वोटरों का नेतृत्व करने के लिए आज कोई भी बिहार और पूरब का नेता वहां नहीं है। जबकि मुंबई में आज भी बिहार और पूरब के वोटरों की वजह से कम से कम एक दर्जन नेता विधायक बन जाते हैं।
लालू प्रसाद यादव की नजर इन्ही वोटरों पर है। उन्हें अच्छी तरह से पता है कि वो मुंबई वासियों को ना तो लुभा सकते हैं और ना ही मुंबई वासी उनके लुभावे में आएंगे। इसलिए लालू ने सोचा कि क्यों ना बिहारी और पुरबिया वोटरों को एकजुट करने की कोशिश की जाए। लिहाजा लालू बैठक से पहले मुंबई पहुँच गए। सूत्र बता रहे हैं कि लालू अस्वस्थ होने के बावजूद अब तक वहां की बिहार और पूरब की समितियों के लगभग सैकड़ों लोगों से मिल चुके हैं।
ऐसा माना जाता है कि मुंबई में बिहार और पूरब के लोगों ने अलग-अलग समितियां बना रखी हैं। ये लोग उन्हीं समितियों के बैनर तले हर वर्ष अपने पारम्परिक त्यौहारों को मनाते हैं। उनके कार्यक्रमों में बिहारी और पुरबिया नेताओं के साथ-साथ स्थानीय नेता भी जाने को उत्सुक रहते हैं। लालू सबसे मिलकर उनका फीडबैक ले रहे हैं। लालू देखना चाह रहे हैं कि वहां रहने वाले बिहारी और पुरबिया क्या चाहते हैं। उनका झुकाव किस पार्टी की तरफ ज्यादा है।
लालू प्रसाद शायद कुछ लोगों से यह भी कह सकते हैं कि वो राजनीति में सक्रियता बढ़ाएं, क्यों कि इतनी बड़ी संख्या में होने के बावजूद अभी तक मुम्बई में मात्र दो ही नेता उभर कर सामने आ पाएं है। वैसे भी कृपाशंकर और निरूपम की उम्र ज्यादा हो चुकी है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि खुद शिवसेना उद्धव गूट के मुखिया उद्धव ठाकरे ने लालू से बैठक से दो दिन पहले मुम्बई आने का आग्रह किया था।
लालू भी उनके आग्रह पर दो दिन पहले मुंबई पहुँच गए। लालू वहां, एक तीर से दो निशाना लगाने की तैयारी कर रहे हैं। लालू की कला से सभी वाकिफ़ हैं। उनका जादू बिहारियों के सिर पर चढ़कर बोलता है। संभव है कि अगले चुनाव या किसी भी चुनाव से पहले, लालू यादव की वजह से मुम्बई में कुछ और बिहारी और पुरबिया नए नेता उभर कर सामने आ चुके होंगे।
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