धीरेंद्र शास्त्री की Hindu Nation परिकल्पना के पीछे की असली वजह
भारत हिन्दू राष्ट्र कब बनेगा? हिन्दू राष्ट्र (Hindu Rashtra) बन जाने के बाद देश में क्या बदलाव आएगा?
बागेश्वर धाम के पुजारी धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री |
कुछ इसी तरह के प्रश्न पिछले कुछ महीनों से लाखों करोड़ों लोगों के जेहन में उठ रहे हैं, और ऐसे सवाल उठने के पीछे के सबसे बड़े कारण हैं बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पुजारी धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Dhinrendra Kirishana Shastri) । कुछ महीनों पहले तक मध्यप्रदेश के कुछ जिलों तक अपनी पहचान रखने वाले शास्त्री की प्रसिद्धि इतनी बढ़ गई है कि उन्हें केंद्र की सरकार ने वाई कैटेगरी की सुरक्षा भी दे दी है।
हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना कोई नई नहीं है। समय-समय पर भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात वर्षों से चलती आ रही है, लेकिन बागेश्वर सरकार ने जिस तरीके से हिन्दू राष्ट्र का मुद्दा उठाया है, श्याद इतना पुरजोर तरीके से आज तक किसी ने नहीं उठाया होगा। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या सिर्फ धीरेन्द्र शास्त्री के कहने भर से भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा? क्या सिर्फ देश के साधुओं और संतों के कहने से भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा? आज इस वीडियो के जरिए हम आपको बताएँगे कि भारत क्यों नहीं बन पायेगा हिन्दू राष्ट्र? साथ ही साथ यह भी बताएंगे कि धीरेन्द्र शास्त्री के हिन्दू राष्ट्र की मांग करने के पीछे की असली वजह क्या है?
आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दें के सभी हिन्दू सनातनी है। आप इसे सनातन धर्म भी कह सकते हैं। सनातन का मतलब होता है, सदा बना रहने वाला। जिसका आदि ना हो और अंत ना हो उसे कहते हैं सनातन। मनु महाराज ने एक श्लोक के जरिए इसकी परिभाषा बताने की कोशिश की है। जो इस प्रकार है। सत्यम ब्रूयात प्रियं ब्रूयात न ब्रूयात सत्यम प्रियं। प्रियं च नानृतम ब्रूयात एश धर्मः सनातनः। अथार्त सत्य बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए ,सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिए। प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिए। यही सनातन धर्म है। हालांकि इस श्लोक के भी कई मायने निकाले जाते हैं, और निकाले जाते रहेंगे,बहरहाल इस वीडियो को बनाने का मक़सद सनातन धर्म का अर्थ बताने का नहीं है, बल्कि यह बताने की कोशिश है कि क्या देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना इतना आसान है? जितना कि धीरेन्द्र शास्त्री बताने की कोशिश कर रहे हैं।
हमारे देश में साधु संतों की बातों को सही मानने की परम्परा बहुत पुरानी है। देश को धार्मिक रूप से समृद्ध बनाने में साधु संतों की भूमिका बड़ी अहम् रही है, लेकिन यह भी सत्य है कि देश के दर्जनों संतों ने अपने कर्मों से देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं को आहत भी किया है। देश के दर्जनों संत या साधु, जो हैं तो कथावाचक लेकिन अपने कर्मों की वजह से आज वो जेल की सलाखों के पीछे है। खैर अब बात हिंदू राष्ट्र की। हमारा देश संविधान से चलता है। देश का संविधान कहता है कि भारत संप्रभुता संपन्न ,समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष और लोकतान्त्रिक देश है। इस देश में रहने वाले सभी पंथों के लोग अपने-अपने पंथ के हिसाब से रहने और जीने के लिए स्वतंत्र हैं।
यानी यहाँ हिन्दू, मुस्लिम सिक्ख, ईसाई समेत अन्य पंथों के लोग भी एक दूसरे से मिलजुलकर रहते हैं। अनेकता में एकता के सिद्धांत पर चलने वाला देश भारत, अपनी इसी ख़ूबसूरती की वजह से पूरी दुनिया में विख्यात है। ऐसे में धीरेन्द्र शास्त्री बार-बार इसे हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात क्यों कर रहे हैं? उन्हें अच्छी तरह से इस बात की जानकारी होगी कि संतों या किसी विद्वान् के कहने से भारत हिन्दू राष्ट्र कभी बन ही नहीं सकता। इसे हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। हालाँकि संविधान में संशोधन करना असंभव भले ना हो लेकिन मुश्किल जरूर है। धीरेन्द्र शास्त्री की इस मांग के बीच ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक बहुत अच्छी बात कह दी है। उन्होंने कहा है कि हिन्दू राष्ट्र की बात करने का मतलब हिंदुओं को गोलबंद करना हुआ। अगर हिंदू गोलबंद होंगे तो दूसरे धर्म के लोग अपने आप को उपेक्षित महसूस करेंगें।
ये कोई मामूली संत नहीं हैं। इन्होंने रामराज्य की बात की है। यानी हिन्दू राष्ट्र से बढ़िया है कि भारत को रामराज्य बनाया जाय। बहरहाल आज बागेश्वर धाम सरकार की खूब बल्ले- बल्ले हो रही है। एक छोटे से जिले से निकल कर धीरेन्द्र शास्त्री आज पूरे देश में घूम रहे हैं। उनकी कथाओं में लाखों की भीड़ उमड़ रही है। एक विशेष राजनैतिक दल के लोग उनकी आरती उतार रहे हैं। उनकी कथाओं में मंत्री, सांसद और विधायकों की भीड़ उमड़ रही है। सरकार ने भी उनकी ख्याति को देखते हुए उन्हें वाई कैटेगरी की सुरक्षा मुहैया करवा दी है। यानि अब उनकी सुरक्षा में कम से कम दस बारह सिपाहियों के साथ कुछ गार्ड भी चौबीस घंटे तैयार रहेंगे।
हमारे देश में कई ऐसे कथित संत या साधु रहे हैं जिनकी पहुँच सत्ता के गलियारे तक ही नहीं बल्कि सत्ता तक रही है। ऐसे संतों की प्रसिद्धि और उनके हश्र को देश के लोगों ने देखा है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि धीरेन्द्र शास्त्री गलत हैं लेकिन उनसे इतनी जरूर उम्मीद की जानी चाहिए कि वह जिस हिंदू राष्ट्र की बात कर रहे हैं उसकी परिकल्पना के बारें में बताएं। देश के लाखों लोग जो उनकी बातों को सुन रहे हैं, उन पर भरोसा जता रहे हैं, उन्हें वह फार्मूला भी बताएं जिसके तहत भारत हिन्दू राष्ट्र बनेगा। वह लोगों को सिर्फ जगाएं ही नहीं। कहीं ऐसा ना हो कि हिन्दू राष्ट्र की उम्मीद में, लोग इतना ज्यादा जाग जाएं कि उन्हें सोने में परेशानियों का सामना करना पड़ जाय।
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