सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के खिलाफ रद्द की याचिका, कहा- ईडी को गिरफ्तारी का अधिकार, ये मनमानी नहीं

Last Updated 27 Jul 2022 03:40:04 PM IST

सुप्रीम कोर्ट से आज विपक्ष को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने पीएमएलए के खिलाफ दायर याचिका को रद्द करते हुए इस कानून को बिल्कुल सही करार दिया।


सुप्रीम कोर्ट ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिले अधिकारों का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि धारा-19 के तहत गिरफ्तारी का अधिकार मनमानी नहीं है।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रवि कुमार की पीठ ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि धारा-5 के तहत धनशोधन में संलिप्त लोगों की संपति कुर्क करना संवैधानिक रूप से वैध है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि हर मामले में ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) अनिवार्य नहीं है।

ईडी की ईसीआईआर पुलिस की प्राथमिकी के बराबर होती है।

पीठ ने कहा कि यदि ईडी गिरफ्तारी के समय उसके आधार का खुलासा करता है तो यह पर्याप्त है।

अदालत ने पीएमएलए अधिनियम 2002 की धारा 19 की संवैधानिक वैधता को दी गई चुनौती को खारिज करते हुए कहा, ‘‘ 2002 अधिनियम की धारा 19 की संवैधानिक वैधता को दी गई चुनौती भी खारिज की जाती है। धारा 19 में कड़े सुरक्षा उपाय दिए गए हैं। प्रावधान में कुछ भी मनमानी के दायरे में नहीं आता।’’

पीठ ने कहा कि विशेष अदालत के समक्ष जब गिरफ्तार व्यक्ति को पेश किया जाता है, तो वह ईडी द्वारा प्रस्तुत प्रासंगिक रिकॉर्ड देख सकती है तथा वह ही धनशोधन के कथित अपराध के संबंध में व्यक्ति को लगातार हिरासत में रखे जाने पर फैसला करेगी।

पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘ धारा-5 संवैधानिक रूप से वैध है। यह व्यक्ति के हितों को सुरक्षित करने के लिए एक संतुलन व्यवस्था प्रदान करती है और यह भी सुनिश्चित करती है कि अपराध से अधिनियम के तहत प्रदान किए गए तरीकों से निपटा जाए।’’

शीर्ष अदालत ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की व्याख्या से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया।

सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने अधिनियम की धारा-45 के साथ-साथ दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-436ए और आरोपियों के अधिकारों को संतुलित करने पर भी जोर दिया।

पीएमएलए की धारा-45 संज्ञेय तथा गैर-जमानती अपराधों से संबंधित है, जबकि सीआरपीसी की धारा-436ए किसी विचाराधीन कैदी को हिरासत में रखे जाने की अधिकतम अवधि से संबंधित है।

शीर्ष अदालत ने गिरफ्तारी से संबंधित पीएमएलए की धारा-19 पर भी दलीलें सुनीं और साथ ही धनशोधन अपराध की परि से जुड़ी धारा-3 पर भी सुनवाई की।
 

भाषा
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment