मेजर जनरल की अगुआई में ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’
सेना ने नगालैंड गोलीबारी की घटना में मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी की अध्यक्षता में ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ जांच का आदेश दिया है।
मेजर जनरल की अगुआई में ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ |
आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। गोलीबारी की इस घटना में 14 लोग मारे गए थे।
सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद करार देते हुए कहा कि असफल अभियान संभवत: गलत खुफिया जानकारी का परिणाम था।
सूत्रों ने कहा कि मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी शनिवार शाम नगालैंड के मोन जिले में हुए 21 पैरा स्पेशल फोर्सेज के अभियान की ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ जांच का नेतृत्व करेंगे।
उन्होंने कहा कि जांच संबंधित खुफिया जानकारी और परिस्थितियों पर केंद्रित होगी, जिन पर शनिवार का अभियान आधारित था। लेफ्टिनेंट जनरल अशोक मेहता (अवकाशप्राप्त) ने कहा, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह जाहिर तौर पर खुफिया जानकारी में गड़बड़ी का मामला है।
उन्होंने कहा, इसके बाद जो हुआ वह और भी दुखद है। ग्रामीण इतने गुस्से में थे कि उन्होंने कमांडो को घेर लिया और जाहिर तौर पर उन पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया तथा उन्हें (कमांडो) आत्मरक्षा में उन (ग्रामीणों) पर गोलियां चलानी पड़ीं।
मेहता ने कहा, यह हाल के दिनों में सैन्य अभियानों या आतंकवाद रोधी अभियानों की सबसे बड़ी गड़बड़ियों में से एक है।
‘सेना ने नागरिकों की पहचान का नहीं किया था प्रयास’
नगालैंड के मोन जिले में शनिवार को एक पिकअप ट्रक पर गोलीबारी करने से पहले सेना ने उसमें सवार लोगों की पहचान करने की कोई कोशिश नहीं की थी।
राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) टी जॉन लोंगकुमेर और आयुक्त रोविलातुओ मोर की संयुक्त रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
दोनों शीर्ष अधिकारियों ने चश्मदीदों के हवाले से कहा कि ग्रामीणों ने पाया कि सेना का विशेष बल छह लोगों के शव अपने आधार शिविर में ले जाने के इरादे से लपेटकर, एक पिकअप वैन में डालकर ‘छिपाने’ की कोशिश कर रहे थे।
राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
| Tweet |