पेगासस जासूसी मामले की होगी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने गठित की तीन सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी

Last Updated 27 Oct 2021 12:01:18 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेगासस जासूसी केस की जांच तीन सदस्यीय समिति करेगी।


कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि लोगों की जासूसी किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है और जांच करने के लिए 8 सप्ताह का समय दिया है। इस समिति की निगरानी शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.वी. रवींद्रन करेंगे, जिन्हें पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और डॉ संदीप ओबेरॉय द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।

इससे पहले चीफ जस्टिस एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने 13 सितंबर को मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं?

पीठ ने मौखिक टिप्पणी की थी कि वह मामले की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी।

वहीं इस मामले में केंद्र ने तर्क दिया था कि पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग पर विवरण का खुलासा करने से राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे शामिल हैं, क्योंकि उसने किसी भी विवरण को प्रकट करने से इनकार कर दिया था।

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि केवल राज्य द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने से वह इस मुद्दे को उठाने से नहीं रोकेगा। पीठ ने कहा कि केंद्र ने एक सीमित हलफनामा दायर किया, जिसमें बार-बार यह कहने के बावजूद कि अदालत को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से कोई सरोकार नहीं है, कुछ भी स्पष्ट नहीं हुआ।

पीठ ने जोर देकर कहा, "हम सूचना के युग में रहते हैं। हमें यह समझना चाहिए कि प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है, लेकिन निजता के अधिकार की रक्षा करना और भी महत्वपूर्ण है।" इसमें आगे कहा गया है। पीठ ने आगे कहा, "न केवल पत्रकार, आदि, बल्कि गोपनीयता सभी नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है।"

पीठ ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि कई याचिकाएं स्वयं सेवा थीं, लेकिन वह इस तरह के सर्वव्यापक तर्क को स्वीकार नहीं कर सकती हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और हिमा कोहली की पीठ ने कहा, "केंद्र को यहां अपने रुख को सही ठहराना चाहिए था और अदालत को मूकदर्शक नहीं बनाना चाहिए था।"

8 सप्ताह के बाद मामले को फिर उठाया जाएगा।

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment