दिल्ली उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में पिछले साल अक्टूबर में भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान पुलिस की कथित बर्बरता के संबंध में एक शिकायत पर कार्रवाई के अनुरोध वाली याचिका पर मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से जवाब मांगा।
|
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने भाजयुमो सदस्य और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता रोहित वर्मा की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिन्होंने दलील दी है कि एनएचआरसी कदम उठाने से इनकार करके कानून के तहत उसे मिली हुई शक्तियों को जाया कर रहा है। मामले में 10 नवंबर को अगली सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने आठ अक्टूबर 2020 को पश्चिम बंगाल में आयोजित शांतिपूर्ण ‘‘नबान्न चलो’’ रैली में भाग लिया, जो कथित तौर पर ‘‘पुलिस प्रतिष्ठान के लिए कार्रवाई का अवसर’’ बन गया और ‘‘बड़े पैमाने पर क्रूरता’’ की गई। याचिका में कहा गया है कि रैली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के ‘‘अप्रभावी, गैर-जिम्मेदार, क्रूर, डराने-धमकाने, तानाशाही और हिंसक शासन’’ के खिलाफ एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन था।
याचिका में कहा गया, ‘‘रैली के दिन पश्चिम बंगाल में राज्य मशीनरी द्वारा मानवाधिकार और मौलिक अधिकारों के गंभीर उल्लंघन की भयावहता से प्रतिवादी का ध्यान अवगत कराया गया था।’’ इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर एनएचआरसी ने तुरंत नोटिस जारी किया, लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
वकील कबीर शंकर बोस और सुरजेंदु शंकर दास द्वारा दाखिल की गई याचिका में दलील दी गयी है, ‘‘शिकायत करने के बाद से लगभग नौ महीने बीत जाने के बाद भी प्रतिवादी ने पश्चिम बंगाल राज्य और उसके पुलिस प्रतिष्ठान पर मामला दर्ज करने के लिए कुछ भी नहीं किया।’’
| | |
|