दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट से लैंड फॉर जॉब मामले में मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को झटका लगा है।
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कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और प्रकरण में संलिप्त अन्य आरोपियों को तलब किया है। सभी को 11 मार्च को कोर्ट के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है।
स्पेशल सीबीआई जज विशाल गोगने ने केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दायर आरोप पत्रों पर संज्ञान लेने के बाद आदेश दिया। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में 30 सरकारी कर्मचारियों और 78 लोगों को नामजद किया है। इस मामले में भोला यादव और प्रेम चंद गुप्ता को तलब किया गया है। कोर्ट का आरोप है कि प्रेम चंद गुप्ता लालू यादव के सहयोगी के रूप में काम करते थे।
इससे पहले अदालत ने 21 फरवरी को इस पर फैसला सुरक्षित रखा था। विशेष जज विशाल गोगने को उसी दिन निर्णय देना था। लेकिन, सीबीआई की ओर से कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण देने के बाद सुनवाई टाल दी गई थी।
सीबीआई ने अदालत को बताया था कि इस मामले में तीन अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की गई हैं। लेकिन, सभी में एक ही मूल षड्यंत्र को उजागर किया गया है और इनमें कई सामान्य आरोपी और गवाह हैं। ऐसे में पूरे मामले की सुनवाई एक ही मुकदमे के रूप में होनी चाहिए। अदालत ने इस दलील को दर्ज करते हुए सुनवाई 25 फरवरी को तय की थी।
सीबीआई ने अदालत को यह भी जानकारी दी थी कि उन्हें लोक सेवक आर. के. महाजन के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए आवश्यक स्वीकृति मिल गई है।
इससे पहले, 16 जनवरी को अदालत ने कहा था- यदि 30 जनवरी तक महाजन के खिलाफ स्वीकृति नहीं मिलती है, तो सक्षम अधिकारी को इसका स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना होगा।
बता दें कि यह मामला पश्चिम-मध्य रेलवे के जबलपुर जोन में 2004 से 2009 के बीच ग्रुप-डी पदों पर हुई नियुक्तियों से जुड़ा है। आरोप है कि लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान उम्मीदवारों से उनके परिवार या सहयोगियों के नाम पर जमीन हस्तांतरित करवाई गई थी और इसके बदले में उन्हें रेलवे में नौकरियां दी गईं।
सीबीआई ने 18 मई 2022 को लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और कुछ निजी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। अब तक 30 आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मिल चुकी है। अदालत आज इस मामले में आगे की कार्रवाई पर फैसला ले सकती है।
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