कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की फीस माफ की जाए
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों की फीस माफ की जाए। निजी स्कूलों को इस संबंध में हिदायतें जारी की जाएं।
सुप्रीम कोर्ट: कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की फीस माफ की जाए |
जस्टिस एल नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा कि यदि निजी स्कूल ऐसा करने में अक्षम हैं तो सरकार अनाथ बच्चों की आधी फीस वहन करे। केन्द्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि पीएम केयर्स फंड से मदद हासिल करने के लिए तीन तरह की श्रेणी बनाई गई हैं। पहली वह जिनमें बच्चों ने माता-पिता दोनों को खोया है। दूसरी वह जिनमें माता-या पिता में से एक की मौत हुई है और तीसरी-जिन बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के पास उपलब्ध डेटा के अनुसार बच्चों को उनकी शिक्षा के लिए धनराशि जारी की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि प्रभावित बच्चों से फीस न वसूली जाए। उनकी शिक्षा किसी भी सूरत में बाधित नहीं होनी चाहिए।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने अदालत को बताया कि लगभग एक लाख बच्चों को मदद की जरूरत है। कोरोना महामारी फैलने से लेकर अब तक एक लाख बच्चों ने अपने अभिभावकों को खोया है। 8161 बच्चे अनाथ हो गए। उन्होंने अपने माता-पिता, दोनों को खो दिया। इनमें वह भी हैं, जिनमें से माता या पिता किसी अन्य कारण से कोरोना काल से पहले ही चल बसे थे। 92 हजार 475 बच्चों ने माता या पिता में से किसी एक को खो दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल के दौरान अनाथ हुए बच्चों की सूची हर राज्य सरकार से मांगी थी। आंध्र प्रदेश सरकार ने अदालत को बताया कि मार्च 2020 के बाद 326 बच्चों की पहचान अनाथ के रूप में हुई है। न्याय मित्र ने अदालत को बताया कि दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए हैं। इसकी विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार है।
यूपी सरकार ने अभी तक इस संबंध में जानकारी अपलोड नहीं की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि कोरोना काल में माता-पिता को खोने वाले बच्चों को ढाई हजार रुपए प्रतिमाह दिया जाता है।
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