स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर बाबू राम को अशोक, अल्ताफ को कीर्ति चक्र

Last Updated 15 Aug 2021 12:15:19 AM IST

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस के कुल 144 अधिकारियों व कर्मियों को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया।


स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 56 बीएसएफ अधिकारियों को पुलिस पदक

इस अवसर पर एक अशोक चक्र, एक कीर्ति चक्र, 15 शौर्य चक्र, चार बार टू सेना मेडल, 116 सेना मेडल, पांच नव सेना मेडल और दो वायु सेना मेडल दिए गए हैं।

शांतिकाल में भारत का सबसे बड़ा वीरता पदक अशोक चक्र जम्मू-कश्मीर पुलिस के एएसआई बाबूराम (मरणोपरांत) को दिया गया है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर पुलिस के ही कांस्टेबल अल्ताफ हुसैन भट (मरणोपरांत) को कीर्ति चक्र प्रदान किया गया है। शांतिकाल में भारत का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पदक शौर्य चक्र पिछले साल जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में बहादुरी का प्रदर्शन करने के लिए सेना के छह कर्मियों को दिया गया है। भारतीय सेना के अनुसार यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करने वालों में मेजर अरुण कुमार पांडे, मेजर रवि कुमार चौधरी, कैप्टन आशुतोष कुमार (मरणोपरांत), कैप्टन विकास खत्री, राइफलमैन मुकेश कुमार और सिपाही नीरज अहलावत हैं।

इनके अलावा नौसेना के कैप्टन सचिन रूबेन सेक्वेरिया, वायु सेना के ग्रुप कैप्टन परमिंदर अंतिल एवं विंग कमांडन वरुण सिंह को भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में चार ‘कट्टर’ नक्सलियों को ढेर करने के लिए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के तीन कोबरा कमांडोज को ‘शौर्य चक्र’ से सम्मानित किया गया है। डिप्टी कमांडेंट चितेश कुमार, उप निरीक्षक मनजिंदर सिंह और कांस्टेबल सुनील चौधरी ‘कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन’(कोबरा) की 201वीं बटालियन से हैं। ओडिशा पुलिस के कमांडो देबासीस सेठी (मरणोपरांत) एवं कमांडो सुधीर कुमार टुडू (मरणोपरांत) और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एसपीओ शहबाज अहमद (मरणोपरांत) को भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है।

गलवान के बलवानों को वीरता पदक

भारत-चीन के बीच स्थित एलएसी की रक्षा में तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 20 कर्मियों को पिछले साल पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध और संघर्ष के दौरान बहादुरी प्रदर्शित करने के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया गया है।
वीरता के लिए ये पदक स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर विभिन्न केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित कुल 1380 सेवा पदकों में शामिल हैं। नवीनतम पदक सूची में वीरता के लिए दो राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएमजी), 628 वीरता के लिए पुलिस पदक (पीएमजी), विशिष्ट सेवा के लिए 88 राष्ट्रपति पुलिस पदक और सराहनीय सेवा के लिए 662 पुलिस पदक शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के सब इंस्पेक्टर अमर दीप और सीआरपीएफ के दिवंगत हेड कांस्टेबल काले सुनील दत्तात्रेय (मरणोपरांत) को शीर्ष वीरता पदक ‘राष्ट्रपति पुलिस पदक’ दिए गए हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक सूची के अनुसार, जेकेपी ने अधिकतम 257 (1 पीपीएमजी और 256 पीएमजी) वीरता पदक प्राप्त किए, इसके बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को 151 (1 पीपीएमजी और 150 पीएमजी) मिले हैं। आईटीबीपी के लिए 23 वीरता पदकों में से, बीस उन अभियानों के लिए हैं जो मई-जून 2020 के दौरान लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हुए संघर्ष के दौरान हुए थे, जहां केंद्रीय अर्धसैनिक बल 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी की रक्षा के लिए सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर तैनात है।
20 में से आठ कर्मियों को 15 जून को गलवान नाला में मातृभूमि की रक्षा के लिए उनके वीरतापूर्ण कार्य, सावधानीपूर्वक योजना और सामरिक अंतर्दृष्टि के लिए पीएमजी से सम्मानित किया गया है। छह कर्मियों को फिंगर 4 क्षेत्र में 18 मई को हिंसक झड़प के दौरान वीरतापूर्ण कार्रवाई के लिए पीएमजी से सम्मानित किया गया है, जबकि बाकी छह कर्मियों को उसी दिन लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स के पास उनकी वीरतापूर्ण कार्रवाई के लिए इस पदक से सम्मानित किया गया है।

56 बीएसएफ अधिकारियों को पुलिस पदक

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कुल 56 अधिकारियों को 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है। 56 पदकों में से, चार अधिकारियों को वीरता के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है, उप महानिरीक्षक सरोज कुमार सिंह, सहायक उप-निरीक्षक लखविंदर सिंह और दिवंगत कांस्टेबल गुरनाम सिंह को सावधानीपूर्वक संचालन योजना, अनुकरणीय युद्ध दुस्साहस, परिचालन कौशल और निर्दोष आचरण के लिए।

बीएसएफ के अधिकारियों ने कहा कि इन तीनों अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर के भगवानपुरा के सामान्य इलाके में शुरू किए गए एक ऑपरेशन में हिजबुल मुजाहिदीन के खूंखार कमांडरों को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

चौथा पीएमजी पुरस्कार 64 बटालियन के कांस्टेबल अनीसुर रोहमन को उनकी अद्वितीय और वीरतापूर्ण कार्रवाई, सैनिक भावना, अनुकरणीय साहस, उच्च स्तर की व्यावसायिकता और भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात कर्तव्य के प्रति निस्वार्थ समर्पण के लिए दिया गया था।



रोहमन ने न केवल तस्करी के एक प्रयास को विफल किया, बल्कि अपने साथी कांस्टेबल अश्विनी कुमार की भी रक्षा की, जिसे 25 बदमाशों और तस्करों ने अपनी जान की परवाह किए बिना घेर लिया था।

रोहमन ने अनुकरणीय साहस का परिचय दिया और अपने सहयोगी की रक्षा के लिए तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त की और अपराधियों को भयावह योजना को छोड़ने के लिए मजबूर किया।

बीएसएफ को विशिष्ट सेवाओं के लिए पांच राष्ट्रपति पदक भी मिले।

आतंकवादियों को ले जा रहे ट्रक को रोकने वाले चार जवानों को वीरता पदक

कश्मीर घाटी ट्रक में छिपकर जा रहे आतंकवादियों को रोकने और तीन आतंकवादियों को मार गिराने का अदम्य साहस दिखाने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के चार जवानों को पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है। पिछले साल 31 जनवरी को जम्मू के नगरोटा में बन टोल प्लाजा के पास मुठभेड़ में आतंकवादियों से मुकाबला करने के दौरान बहादुरी दिखाने के लिए कांस्टेबल राहुल कुमार, मुत्तमाला रवि, मुतुम बिक्रमजीत सिंह और अनिल लकड़ा को यह सम्मान दिया गया है।

ट्रक जम्मू से श्रीनगर जा रहा था, जिसे जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआईएसएफ के जवानों ने सुबह साढ़े पांच बजे प्लाजा पर सुरक्षा जांच के लिए रोका था। सीआईएसएफ ने बताया कि पुलिस ने चालक दल को सामान रखे पीछे के हिस्से को खोलकर दिखाने को कहा, जिससे उसमें छिपे आतंकवादियों का पता चल गया और उसने गोलीबारी शुरू कर दी। जांच चौकी पर मौजूद राहुल कुमार और एम रवि ने तुरंत ट्रक का दरवाजा बंद किया और गोलीबारी शुरू हो गई। पाली बदलने की प्रक्रिया के तहत एम बिक्रमजीत सिंह और अनिल लकड़ा भी मौके पर पहुंचे और वे भी तत्काल अपना पोजीशन लेकर मुठभेड़ में शामिल हो गए।

बल ने बताया कि एक आतंकवादी को गोली लगी और वह टोला प्लाजा से करीब 20 फीट की दूरी पर मारा गया, जबकि दो आतंकवादियों का सफाया मौके पर पहुंचे जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और सेना के विशेष बल ने किया। सीआईएसएफ ने बताया, ‘आतंकवादी भारी मात्रा में गोला-बारूद और हथियार लेकर जा रहे थे और अगर उन्हें निष्क्रिय नहीं किया गया होता तो वे सुरक्षा बलों और निदरेष लोगों को निशाना बना सकते थे।’

सहारा न्यूज ब्यूरो/भाषा/आईएएनएस
नई दिल्ली


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