राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में 10 साल पुराने डीजल वाहनों का पंजीकरण रद्द करने के अपने आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया है।
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एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उसके आदेश के खिलाफ अपील को उच्चतम न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है। पीठ ने कहा, ‘‘जैसा कि 18 जुलाई, 2016 के आदेश में कहा गया है, दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को चलने की अनुमति नहीं देने के सात अप्रैल, 2015 के आदेश के खिलाफ अपील को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था।’’
उसने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में, जिस संशोधन का अनुरोध किया गया है, वह समीक्षा की श्रेणी में आता है। जिस आदेश के विरुद्ध अपील पहले ही खारिज की जा चुकी है, उसकी समीक्षा की अनुमति नहीं दी जा सकती। याचिकाएं खारिज की जाती हैं।’’
अधिकरण ने हरियाणा राज्य में सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) और आईसीएसई (भारतीय माध्यमिक शिक्षा प्रमाणपत्र) से संबद्ध स्कूलों के संघ ‘हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल्स कॉन्फ्रेंस’ द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया, जिसमें एनजीटी के आदेशों में संशोधन करने और अभियोग चलाने का अनुरोध किया गया था।
उक्त आदेशों के जरिए एनजीटी ने 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश दिया था। याचिका में अनुरोध किया गया था कि 10 वर्ष की अवधि की गणना के दौरान कोविड-19 की अवधि को शामिल नहीं किया जाए।
इससे पहले, एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में ऐसे वाहनों पर से प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि डीजल वाहनों से होने वाला उत्सर्जन कैंसर की बीमारी का कारण है।
हरित पैनल ने कहा कि भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय यह साबित करने में विफल रहा है कि 10 साल पुराने डीजल वाहनों का इस्तेमाल लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होगा।
उसने कहा कि प्रदूषण निगरानी निकाय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एक नई डीजल कार 24 पेट्रोल और 84 नई सीएनजी कारों के बराबर है। एनजीटी ने सात अप्रैल, 2015 को दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर 10 साल से अधिक पुराने सभी डीजल वाहनों चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में, 18 और 20 जुलाई, 2016 को उसने राष्ट्रीय राजधानी में चरणबद्ध तरीके से 15 से 10 साल पुराने डीजल वाहनों का पंजीकरण रद्द करने का आदेश दिया था।
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