पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में करगिल युद्ध में अपना जीवन बलिदान करने वाले सैनिकों को सेना ने लद्दाख के द्रास सेक्टर में स्थित युद्ध स्मारक पर जा कर सोमवार को श्रद्धांजलि दी।
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गौरतलब है कि 1999 में भारतीय सशस्त्र बलों ने अपने शौर्य का परिचय देते हुये करगिल की पहाड़ी की चोटी पर कब्जा करने के पाकिस्तान के मंसूबे को विफल कर दिया था । इसे ‘आपरेशन विजय’ नाम दिया गया था ।
श्रीनगर के जन संपर्क अधिकारी (रक्षा) कर्नल एमरॉन मुसावी ने बताया कि द्रास स्थित युद्ध स्मारक पर करगिल विजय दिवस की 22 वीं वर्षगांठ पर एक समारोह का आयोजन किया गया था ।
लद्दाख के उप राज्यपाल आर के माथुर ने इस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लिया । उन्होंने स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित किये और शहीदों को श्रद्धांजलि दी । पूरे देश में आज उन शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी देश की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिये द्रास युद्ध स्मारक पर पहुंचना था लेकिन खराब मौसम के कारण उनका कार्यक्रम बदलना पड़ा ।
इसके बदले, वह उत्तर कश्मीर के बारामूला युद्ध स्मारक पर गये जहां उन्होंने पुष्प चक्र अर्पित किये ।
इससे पहले 2019 में भी कोविंद का विमान खराब मौसम के कारण यहां से उड़ान नहीं भर सका था और उन्होंने बादामी बाग छावनी में युद्ध समारक पर पुष्प चक्र अर्पित किया था । बादामी बाग में सेना के 15 कोर का मुख्यालय है।
रक्षा प्रवक्ता मुसावी ने बताया कि इस साल यह संयोग है कि करगिल विजय दिवस के मौके पर ‘स्वर्णिम विजय वर्ष विजय ज्वाला’ करगिल युद्ध स्मारक पहुंच रहा है।
विजय ज्वाला की यात्रा 1971 में पाकिस्तान के साथ हुये युद्ध में भारत की जीत के 50 साल पूरा होने की याद दिलाती है ।
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