हर नागरिक को सरकार की आलोचना का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 04 Jun 2021 09:36:44 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार की आलोचना करना हर नागरिक का अधिकार है बशत्रे उसने अपने वक्तव्य से लोगों को हिंसा के लिए न उकसाया हो।


सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को निरस्त करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को एक बार फिर अहम बताया।

जस्टिस उदय उमेश ललित और विनीत सरन की बेंच ने कहा, आईपीसी की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का मुकदमा उसी सूरत में दर्ज हो सकता है यदि किसी का इरादा अशांति फैलाना हो। विनोद दुआ ने एक पत्रकार की हैसियत से मार्च 2020 में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा का चितण्रकिया था। उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि प्रधानमंत्री ने आतंकवाद तथा लाशों का सहारा लेकर वोट बटोरे। बेंच ने कहा, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने केदार नाथ सिंह मामले में 1962 में ही राजद्रोह का दायरा तय कर दिया था। सरकार तथा उसके मातहत काम करने वाले लोगों की आलोचना का अधिकार हर नागरिक को है। यदि नागरिक अपने वक्तव्य या कथन से किसी को हिंसा के लिए नहीं उकसाता या अशांति पैदा करने की कोशिश नहीं करता तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए तथा 505 के तहत एफआईआर दर्ज करना जायज नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, विनोद दुआ ने अपने शो में प्रवासी मजदूरों के अपने गांव की ओर लौटने का जिक्र किया है। श्रमिकों को रास्ते में खान-पान की समस्या का सामना करना पड़ा। कई सौ किलोमीटर चलकर वह अपने गांव पहुंचे। रास्ते में रहने के लिए कोई शेल्टर नहीं था। पत्रकार ने एक पूर्व मुख्य सांख्यिकी अधिकारी का हवाला देकर कहा था कि भुखमरी के कारण खाने के लिए दंगे भी हो सकते हैं। अदालत ने माना कि 30 मार्च 2020 को जिस समय यूटयूब पर शो प्रदर्शित किया गया, उस समय स्थिति बहुत भयावह थी। पत्रकार की हैसियत से दुआ ने आने वाली परेशानियों से प्रशासन को आगाह किया। यह कतई नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने अफवाह उड़ाई और मजदूरों को उकसाया। मजदूरों का बड़ी तादाद में अपने गांवों की ओर लटना लॉकडाउन के बाद 25 मार्च से ही शुरू हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत पत्रकार को अभिव्यक्ति की आजादी है। उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता।

भाजपा के स्थानीय नेता अजय श्याम ने विनोद दुआ के खिलाफ शिमला के कुमारसैन थाने में आईपीसी की धारा 124ए, 268, 501 तथा 505 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। एफआईआर 6 मई 2020 को दर्ज की गई थी लेकिन दुआ को 11 जून को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस दिया, जिसमें कहा गया कि वह 13 जून 2020 को शिमला आएं, जिससे उनसे पूछताछ की जा सके। शिमला में दर्ज एफआईआर में शिकायतकर्ता ने कहा है कि दुआ ने अपने चैनल में प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहा है कि वह मौत और आतंकी हमले का इस्तेमाल वोट बैंक की राजनीति के लिए कर रहे हैं।

एसएनबी
नई दिल्ली


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