कश्मीर में आतंकवाद पार्ट-2 शुरू करने की ISI साजिश
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले करने और अलगाववाद दोबारा फैलाने में अपनी ताकत झोंक दी है।
कश्मीर में आतंकवाद पार्ट-2 शुरू करने की ISI साजिश |
इस काम को अंजाम देने में जमात-ए-इस्लामी जुटा है। गृह मंत्रालय को यह जानकारी खुफिया एजेंसियों ने दी।
ख़्ाुफिया सूत्रों के अनुसार, आईएसआई राज्य में आतंकी संगठन जमात-ए-इस्लामी, लश्कर, जैश, हिजबुल मुजाहिदीन को जकात, मौदा बैत-उल-माल विदेशों से आई चैरिटी, हेल्थ और एजुकेशन के नाम पर दुबई, तुर्की और दूसरे रास्तों से फंडिंग करा रहा है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में आतंकवाद और पत्थरबाजी में जो कमी आई है उसे जमात-ए-इस्लामी फंडिंग के जरिये दोबारा बढ़ाना चाहता है। जमात ए-इस्लामी ने अलगाववादियों और आतंकियों की नई भर्ती के लिए सीक्रेट मीटिंग भी की है।
गृह मंत्रालय ने मामले की जांच एनआईए को दी है। एनआईए अब इसकी फंडिंग की जांच करेगा। आतंकियों को समर्थन करने के चलते गृह मंत्रालय ने मार्च 2019 में जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया था। जमात-ए-इस्लामी एक पृथक संगठन है। वर्ष 1953 में इसने अपना अलग संविधान बना लिया था। सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर के सबसे बड़े आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन को जमाते इस्लामी द्वारा ही खड़ा किया गया। हिज्बुल मुजाहिदीन को जमात-ए-इस्लामी द्वारा हर तरह की सहायता मुहैया कराई जाती है। आतंकियों को ट्रेंड करना, उनको फंडिंग देना, उनको शरण देना, लॉजिस्टिक मुहैया कराना आदि काम जमाते इस्लामी संगठन लगातार हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए कर रहा था।
एक प्रकार से जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर का मिलिटेंट विंग है। हिज्बुल मुजाहिदीन का मुखिया सैयद सलाउद्दीन जम्मू-कश्मीर राज्य के पाकिस्तान में विलय का समर्थक है। सलाउद्दीन वर्तमान में पाकिस्तान में छिपा है। खुफिया रिपोर्ट के गृह मंत्रालय ने पाया कि जमात-ए-इस्लामी अपनी अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तानी एजेंडे के तहत कश्मीर घाटी के अलगाववादी तथा आतंकी तत्वों को वैचारिक समर्थन तथा उनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए भरपूर मदद देता रहा है।
जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर में विधि द्वारा स्थापित सरकार को हटाकर भारत से अलग धर्म आधारित स्वतंत्र इस्लामिक राज्य के लिए प्रयत्न कर रहा है। गृह मंत्रालय ने इसको प्रतिबंधित करे के पीछे यह भी पाया कि अलगाववादी विचारधारा का ऑल पार्टी हुर्रियत कान्फ्रेंस की स्थापना के पीछे भी जमात-ए-इस्लामी का हाथ रहा है। इसे जमात-ए-इस्लामी ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के समर्थन से स्थापित किया है।
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