दिल्ली की एक अदालत ने 2016 के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) देशद्रोह मामले में आरोपी कन्हैया कुमार, उमर खालिद और आठ अन्य के खिलाफ दायर एक आरोप पत्र पर संज्ञान लिया है।
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उन्हें अब 15 मार्च को तलब किया गया है। मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने सोमवार को अपराधों का संज्ञान लिया, जिसमें- 124ए (देशद्रोह), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 465 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग करना), 143 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने के लिए सजा), 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने वाले सदस्य), 147 (दंगा) और 120 बी (आपराधिक साजिश) शामिल हैं।
न्यायाधीश ने आदेश में कहा, "आरोप पत्र और मैटेरियल पर विचार करने के बाद, उपरोक्त सभी अभियुक्त व्यक्तियों को अपराध के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया गया है। अभियुक्तों को 15.03.2021 को तलब किया गया है।"
दिल्ली सरकार द्वारा आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए 17 फरवरी 2020 को दिल्ली पुलिस को मंजूरी दिए जाने के ठीक एक साल बाद संज्ञान लिया गया है।
कन्हैया और उमर के अलावा, अन्य लोगों में अनिर्बन भट्टाचार्य, कश्मीरी छात्र अकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन गट्टू, उमर गुल, राइया रसूल, बशीर भट और बशरत अली शामिल हैं।
1,200 पन्नों की चार्जशीट में कहा गया है कि क्षेत्रीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (आरएफएसएल) ने उमर खालिद द्वारा कन्हैया कुमार को भेजे गए एसएमएस को रिट्रीव किया था, जिसमें कन्हैया को जेएनयू के साबरमती ढाबा पहुंचने के लिए कहा गया था, क्योंकि विरोध प्रदर्शन को अनुमति देने से विश्वविद्यालय प्रशासन ने मना कर दिया था।
आरोप पत्र के अंतिम पेज भी विरोध के दौरान कश्मीरी छात्रों की उपस्थिति और वे उमर खालिद के संपर्क में थे, इस बात की पुष्टि करते हैं।
9 फरवरी, 2016 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को उसकी पुण्यतिथि पर फांसी देने का विरोध करने के लिए बुलाए गए कार्यक्रम के दौरान कथित रूप से राष्ट्रपविरोधी नारे लगाए थे।
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