राज्यसभा में 4 सांसदो की विदाई में भावुक हुए पीएम मोदी, आजाद की तारीफ में बोले- दल के साथ देश और सदन की भी चिंता
राज्यसभा से आज कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद समेत चार सदस्यों की विदाई हो रही है। इस दौरान विपक्ष के नेता नुलाम नबी आजाद के एक फोन कॉल को याद करते हुए पीएम मोदी भावुक हो गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कभी नेता विपक्ष के रूप में केवल अपना दबदबा बनाये रखने की कोशिश नहीं की बल्कि उन्होंने अपने दल के साथ साथ देश तथा सदन की भी चिंता की।
गुलाम नबी की राज्यसभा से विदाई, मोदी के छलके आंसू... |
प्रधानमंत्री मोदी ने आज कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कभी नेता विपक्ष के रूप में केवल अपना दबदबा बनाये रखने की कोशिश नहीं की बल्कि उन्होंने अपने दल के साथ साथ देश तथा सदन की भी चिंता की।
मोदी ने आजाद का उच्च सदन में कार्यकाल पूरा होने के मौके पर मंगलवार को अपने विदायी संबोधन में यह बात कही। आजाद के साथ साथ जम्मू कश्मीर से राज्यसभा में सदस्य मीर फय्याज, शमशेर सिंह मन्हास और नजीर अहमद को भी विदायी दी गयी। आजाद और अहमद का कार्यकाल 15 फरवरी को जबकि मन्हास और फय्याज का कार्यकाल 10 फरवरी को पूरा हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। उन दिनों कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ पर्यटक मारे गए थे। इनमें गुजरात के पर्यटक भी थे।
मोदी ने कहा ‘‘तब सबसे पहले, गुलाम नबी आजाद ने फोन कर उन्हें सूचना दी और उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। मैंने तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी से पर्यटकों के पार्थिव शरीर लाने के लिए सेना का हवाई जहाज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जो उन्होंने स्वीकार कर लिया। रात को पुन: आजाद ने फोन किया। यह फोन उन्होंने हवाईअड्डे से किया और उनकी चिंता उसी तरह थी जिस तरह लोग अपने परिवार की चिंता करते हैं।’’ यह बोलते हुए प्रधानमंत्री का गला रुंध गया।
मोदी ने कहा ‘‘मेरे लिए बहुत भावुक पल था। अगले दिन सुबह पुन: आजाद का फोन आया और उन्होंने पूछा कि मोदी जी, क्या सभी पहुंच गए।’’ उन्होंने कहा ‘‘एक मित्र के रूप में घटनाओं और अनुभव को देखते हुए मैं आजाद का बहुत आदर करता हूं।’’
प्रधानमंत्री ने कुछ यादें साझा करते हुए कहा कि जब वह कोविड-19 महामारी पर सदन में विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक बुलाने पर विचार कर रहे थे तब आजाद ने फोन कर उन्हें सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाने का सुझाव दिया था। मोदी ने कहा, ‘‘मैंने वह सुझाव माना और वह सुझाव उपयोगी रहा।’’
आजाद के बारे में मोदी ने कहा ‘‘आजाद को सत्ता पक्ष में रहने का और विपक्ष में रहने का गहरा और लंबा अनुभव है । 28 साल का कार्यकाल .. बड़ी उपलब्धि होता है।’’ उन्होंने कहा कि बहुत पहले एक बार संसद भवन में लॉबी में वह आजाद से बात कर रहे थे। वहां से निकलने पर पत्रकारों के सवाल पूछने पर आजाद ने कहा था ‘‘टीवी पर , अखबारों में आप हमें लड़ते झगड़ते देखते हैं। लेकिन यहां हम सबके बीच एक परिवार की तरह वातावरण होता है।’’
मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा ‘‘अपने सरकारी बंगले को आजाद ने बहुत प्यार से संवारा और उनका बगीचा देख कर वहां कश्मीर की याद आ जाती है। उन्होंने वहां एक कश्मीर बना रखा है। स्पर्धा में उनका बंगला पहले नंबर पर आ जाता है।’’
दोनों सदनों में आजाद के लंबे कार्यकाल का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सौम्यता, विनम्रता और देश के लिए कुछ कर गुजरने की कामना प्रशंसनीय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजाद की यह प्रतिबद्धता उन्हें आगे भी चैन से नहीं बैठने देगी और उनके अनुभवों से देश लाभान्वित होता रहेगा।
उन्होंने कहा कि वह एक मित्र के रूप में आजाद का हमेशा आदर करते हैं और उनके विचारों था सुझावों के लिए उनके द्वार हमेशा खुले रहेंगे।
आजाद के साथ ही भाजपा के शमशेर सिंह मन्हास, और पीडीपी के मीर मोहम्मद फ़ैयाज तथा नजीर अहमद लवाय का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है।आजाद और नजीर अहमद का कार्यकाल 15 फरवरी को और मन्हास तथा मीर फयाज का कार्यकाल 10 फरवरी को पूरा हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने मीर मोहम्मद फयाज, नजीर अहमद लवाय का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें इन दोनों सदस्यों के साथ बातचीत में कश्मीर के अनेक पहलुओं के बारे में जानकारी मिलती थी। उन्होंने कहा कि इन सदस्यों के साथ उनका व्यक्तिगत तौर पर नाता रहा। उन्होंने भरोसा जताया कि इन दोनों सदस्यों की प्रतिबद्धता देश के लिए, खास कर जम्मू कश्मीर के लिए बेहद उपयोगी रहेगी।
शमशेर सिंह का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह और शमशेर सिंह दोनों ही संगठन में थे अत: उनका साथ लंबा रहा। उन्होंने कहा कि सदन में शमशेर सिंह की उपस्थिति 96 फीसदी है जो बताती है कि उन्होंने जनता द्वारा दिए गए दायित्व को निभाने का पूरा प्रयास किया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के इन चारों सदस्यों का यह कार्यकाल उनके जीवन के बेहतरीन कार्यकाल में से है।
इससे पहले सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्हें सदन में आजाद की कमी खलेगी क्योंकि आजाद बहुत सुलझे हुए नेता थे और उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में कई बार विकट परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया था। सभापति ने कहा कि आजाद के पास इस सदन में 28 वर्षों का अनुभव है जिसकी कमी सभी को खलेगी। उन्होंने कहा कि आजाद को वर्ष 2015 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से नवाजा गया था और वह पहली बार सांसद बनने वाले सदस्यों के लिए आदर्श हैं। वह बडी ही सौम्यता के साथ अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से रखते हैं।
सभापति ने चारों सदस्यों द्वारा सदन में दिये गये योगदान की सराहना की और उम्मीद जतायी कि वे भविष्य में भी देश तथा समाज की सेवा करते रहेंगे। उन्होंने सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य तथा सार्वजनिक जीवन में निरंतर काम करते रहने की कामना भी की।
| Tweet |